For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी 2122 2122 2122 212

 

कैद  हैं  धनहीन तो, जो सेठ है, आजाद  है

झुग्गियों की लाश  पर  बनता यहाँ प्रासाद है

 

थाम कर दिल मौन कोयल डाल पर बैठी हुई,

तीर लेकर हर  जगह बैठा हुआ सय्याद है

 

भाईचारा प्रेम  सब बातें किताबी हो  गईं,

हो रही  बेघर मनुजता, फैलता अतिवाद है

 

जन्म  रोजाना  यहाँ पर ले रहे राक्षस कई,  

पल रहीं हैं होलिकाएँ जल रहा प्रहलाद है  

 

है समुन्दर तो लबालब, पर नदी सूखी हुई,

और हम सब कह रहे हैं ये धरा आबाद है.

 

घात से प्रतिघात से हल, मित्र निकलेगा नहीं.

युद्ध  से  बेहतर  हमेशा ही  रहा  संवाद  है.

 

खत्म होना चाहिए अब नफरतों का सिलसिला,

प्रेम पर  होती  टिकी हर देश की बुनियाद है

"मौलिक एवं अप्रकाशित" 

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 23, 2017 at 4:08pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी राक्षस को का विकल्प दानव एकदम सही सुझाया आपने, तो शब्द को भी बदलकर इस प्रकार कह सकते हैं 

कैद हैं धनहीन सारे, सेठ बस आजाद है, शायद पसंद आये आपको  

इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिये, सादर नमन आपको 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 23, 2017 at 4:04pm

आदरणीय Samar kabeer जी ग़ज़ल को आपने अपना अमूल्य समय दिया दिल सेउक्रिया आपका, आपके कथन का मैं सम्मान करता हूँ, एक नई जानकारी और शब्दों के प्रयोग से अवगत हुआ.

यहाँ मैंने कोयल को मैंने नारी के प्रतीक और सैयाद को शैतानों के प्रतीक में लिया था, इसे शेर को और बेहतर तरीके से कहने का प्रयास करता हूँ. इस मंच की एक बहुत अच्छी बात है कि सभी वरिष्ठ जन खुलकर मार्गदर्शन करते हैं. 

सादर नमन मंच को और आपको 

Comment by Ravi Shukla on August 22, 2017 at 5:14pm

आदरणीय बसंत कुमार जी आपकी अच्‍छी गजल पढ़ी बहुत बहुत बधाई स्‍वीकार करें ।

चौथे शेर में हिरण्‍य कश्‍यप के लिये राक्षस का बिम्‍ब लिया है आपने अगर लय के अनुसार दानव करें तो क्‍या आपके भाव में कोई अंतर पड़ेगा ।

6ठा शेर बहुत ही अच्‍छा और सकारात्‍मक सोच को बढ़ावा देता लगा पुन: बधाई

मतले के उला के दूसरे रुक्‍न मे तो शब्‍द कुछ असहज कर रहा है । अगर उचित लगे तो इसे और भी बेहतर कर सकते है

एक्‍ त्‍वरित सुझाव मात्र है   कैद मे धनहीन केवल सेठ ही आजाद है ।

आदरणीय समर साहब इस गजल के हवाले से एक नई बात पता चली कोयल को मांसाहारी भी नहीं खाते । आभार ।

Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 6:48pm
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'थाम कर दिल मौन कोयल डाल पर बैठी हुई
तीर लेकर हर जगह बैठा हुआ स्य्याद् है'
इस शैर के ऊला मिसरे में 'कोयल'शब्द तार्किकता के हिसाब से ग़लत है,क्योंकि 'कोयल' का कोई शिकार नहीं करता,उसे मारकर कुछ हासिल नहीं होता उसे तो मांसाहारी भी नहीं खाते,इस लिए ऊला मिसरा यूँ करना उचित होगा :-
"थाम कर दिल मौन पक्षी डाल पर बैठा हुआ"
Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 21, 2017 at 4:03pm

आदरणीय laxman dhami  जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 9:15pm
आ. भाई बसंत जी गजल सुंदर हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 20, 2017 at 7:31pm

आदरणीय Ajay Kumar Sharma जी ह्रदय से आभार आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 20, 2017 at 7:30pm

आदरणीय Sheikh Shahzad Usmani  जी आपके प्रतिसाद को सादर नमन 

Comment by Ajay Kumar Sharma on August 20, 2017 at 11:11am
बहुत शानदार गजल...
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 19, 2017 at 7:17pm
समसामयिक परिदृश्य व ज्वलंत मुद्दों पर बेहतरीन अशआर के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी। ऐसा लगा कि कुछ और अशआर पाठक को चाहिए। समस्याओं के साथ समाधान भी बताना बहुत बढ़िया है, सबसे फरियाद है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
34 minutes ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
45 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service