For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या तुम सुन रहे हो ? ( कविता)

फिर आ गयी है रात 

पूनम के बाद की 

खिला हुआ चाँद 

कह रहा है कुछ 

क्या तुम सुन रहे हो ? 

तारों से कर रहें हैं  बातें 

तन्हा बीत जाती हैं रातें 

देखता है  यह चाँद यूँही 

हँसता होगा यह भी देख मुझको 

क्या तुम सुन रहे हो ?

साथ चलने को कहा था 

थामकर हाथ चल रहे थे 

फिर क्या हुआ यकायक 

कैसे गरज गए यह बादल 

क्या तुम सुन रहे हो 

चमक रही है बिजली 

चाँद भी अब चल देगा 

बादलों के अँधेरे में 

फिर होगी वर्षा लगता है 

क्या तुम सुन रहे हो ?

पर नहीं ,

नहीं हो तुम आस पास कहीं भी 

इतने शोर में भी खामोश है 

दुनिया मेरी 

क्या तुम सुन रहे हो ?

मौलिक और अप्रकाशित 

 

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sunanda jha on August 13, 2017 at 2:26pm
Beautiful ,बहुत प्यारी भावपूर्ण कविता आदरणीया कल्पना जी दिल से बधाई इस सुंदर सृजन के लिए ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 10, 2017 at 8:05pm
बहुत सुन्दर भावपूर्ण आदरणीया..सादर
Comment by narendrasinh chauhan on August 10, 2017 at 12:14pm

खूब सुन्दर रचना 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 9, 2017 at 8:17pm

धन्यवाद आदरणीय गिरिराज सर |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 9, 2017 at 8:16pm

आदाब आदरणीय समर भाई जी | आपको यह प्रयास पसंद आया सार्थक हुआ यह प्रयास | सादर धन्यवाद भाई जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 9, 2017 at 8:15pm

धन्यवाद् आदरणीय शहजाद भाई |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 9, 2017 at 8:15pm

धन्यवाद आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 9, 2017 at 8:13pm

धन्यवाद आदरणीया वसुधा जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 9, 2017 at 6:45pm

आदरणीया कल्पना जी , सुन्दर भाव पूर्ण कविता के लिये आपको बधाइयाँ ।

Comment by Samar kabeer on August 9, 2017 at 6:32pm
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,बहुत सुंदर और जज़्बाती कविता लिखी आपने,प्रवाह और शिल्प भी उम्दा है, इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
आठवीं पंक्ति में 'हैं' को "है" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service