For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र:1222 1222 122

नहीं पहले-सी चेहरे पे चमक है
हँसी में आपकी गम की झलक है

नहीँ आमाल में जिसकी है नीयत
उसी की क़ामयाबी पे भी शक है

कोई तो खेल में पानी बहाता
कहीं पर प्यासा मरने की धमक है

पहुँचना उसका ही होगा फलक तक
नज़र जिसकी बहुत आगे तलक है

रहेगी रात तन्हा, दिन अकेला
हमारा साथ कुछ ही देर तक है

उसे बंदिश भला क्या रोक पाए?
नजर में जिसकी ये सारा फलक है

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 11, 2017 at 7:29am
आदरणीय बृजेश भाई जी सादर हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 11, 2017 at 7:28am
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर नमन!हौंसलाफ़ज़ाई और मार्गदर्शन के लिए बहुत् बहुत आभार!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 11, 2017 at 7:27am
आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 11, 2017 at 7:26am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर नमन!उत्साहवर्धN एवं मार्गदर्शन के लिए तहेदिल शुक्रिया। यथोचित परिष्कार का प्रयत्न किया है सादर।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 8, 2017 at 1:00pm
वाह वाह खूब ग़ज़ल कही आदरणीय..सादर
Comment by Ravi Shukla on August 8, 2017 at 9:59am

आदरणीय सतविन्‍द्र जी अच्‍छी गजल कही आपने मुबारबाद पेश करते है ।  आदरणीय समर साहब का कहना सही है हक़ काफिया उर्दू के अनुसार गलत हो जाएगा पर हम सब अभी हिन्‍दी कोआधार मानकर गजल पर प्रयास कर रहे है इसलिये   उर्दू की जानकारी के अभाव में इस  तरह की गलती होना स्‍वाभाविक है । हमने इसी लिय पिछले कुछ समय से उर्दू सीखना शुरू कर दिया है । पर नियमित अभयास नहीं हो पा रहा है । आदरणीय गिरिराज भाई जी की बात पर भी ध्‍यान दीजियेगा ।

Comment by नाथ सोनांचली on August 7, 2017 at 8:18am
आद0 सतविंदर भाई जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर मेरी बधाई निवेदित है । सादर
Comment by Mohammed Arif on August 6, 2017 at 11:22pm
आदरणीय सतविंद्र जी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल का प्रयास । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आदरणीय गिरिराज भंडारी जी और आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बातों पर ध्यान दें । मैं इन विद्वानों की बातों से सहमत हूँ ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2017 at 9:48pm
आदरणीय समर कबीर जी सादर वन्दन! हौंसलाफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत आभार। आपके सुझाए गए दोष के निवारण के लिए प्रयास करूँगा।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2017 at 9:46pm
आदरणीय गिरिराज सर,प्रयास पर पुनः उपस्थित होकर मार्गदर्शन करने के लिए बहुत-बहुत आभार, आपके सुझाव के अनुसार परिष्कार का निवेदन करूँगा। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service