For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*221 2121 1221 212*

किस्मत ने उस के साथ करिश्मा नहीं किया ।
जिसने कभी वफ़ा से किनारा नहीं किया ।।

रहना पड़ा उसी के बज़्म में तमाम उम्र ।
जिसने हमारा साथ गवारा नहीं किया ।।

कितनी मिली जफ़ा है मुहब्बत के वास्ते ।
तुमने कभी हिसाब पे चर्चा नहीं किया ।।

कानून पास हो चुके मुद्दों के नाम पर ।
किसने कहा करों में इजाफा नहीं किया ।।

लुटती है आबरू जो सरेआम शह्र में ।
कहते हैं लोग हुस्न पे परदा नहीं किया ।।

शायद कोई ख़ता हुई जबसे नज़र मिली।
उसने इधर निगाह दुबारा नहीं किया ।।

इफ़्लास का हमारे जब उसको पता चला ।
तब से वो ऐतबार हमारा नहीं किया ।।

कुछ तो सहा है दर्द जरा मानिए हुजूर ।
शब भर दुआ के साथ गुजारा नहीं किया ।।

कितना बदल गया है यहां आम आदमी ।
इज्ज़त गई तो शोर शराबा नहीं किया ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
कॉपी राइट

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on July 7, 2017 at 12:17pm

अच्छी गज़ल के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय नवीन जी।

Comment by Ravi Shukla on July 7, 2017 at 11:33am
आदरणीय नवीन जी ग़ज़ल के लिए मुबारक बाद कुबूल करें ।
दूसरे शेर में (उसी के बज़्म में ) बज़्म स्त्रीलिंग है तो उसी की होना चहिये। बाकी समर साहब ने कह दिया है । आखिरी शेर के लिए अलग से बधाई पेश है । सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 6, 2017 at 10:35pm
बहुत खूब हार्दिक बधाई ।
Comment by नाथ सोनांचली on July 5, 2017 at 5:54am
आद0 नवीन मनी जी सादर अभिवादन, उम्दा गजल पर दाद के साथ मुबारकबा पेश करता हूँ, सादर
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 3, 2017 at 6:47pm
आ0 आरिफ सर सादर नमन ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 3, 2017 at 6:46pm
आदरणीय कबीर सर सादर नमन । इतनी अच्छी इस्लाह मुझे कहीं और नही मिलती । आपकी इस कृपा पर मैं बहुत खुश हूँ । ऐसे ही कृपा बनाये रखिये । सादर नमन ।
Comment by Samar kabeer on July 3, 2017 at 2:46pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
दूसरे शैर के ऊला मिसरे की बह्र चेक कीजिये ।
'कहते हैं लोग हुस्न पे परदा नहीं किया'
इस मिसरे में 'पे'की जगह 'ने'होना चाहिए ।

'उसने इधर निगाह दुबारा नहीं किया'
इस मिसरे में 'निगाह'शब्द स्त्रीलिंग है, इस लिये इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं :-
"उसने जो रुख़ इधर का दुबारा नहीं किया"

'तब से वो एतिबार हमारा नहीं किया'
इस मिसरे को वर्तनी के हिसाब से यूँ होना चाहिये:-
"फिर उसने एतिबार हमारा नहीं किया"
आठवें शैर का मफ़हूम साफ नहीं है ।
Comment by Mohammed Arif on July 3, 2017 at 7:51am
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, लाजवाब ग़ज़ल । हर शे'र तराशा हुआ । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
4 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service