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ग़ज़ल--शम अ रोशन करो मुहब्बत की

ग़ज़ल
-----
(फ़ाइलातुन -मफ़ाइलुंन -फेलुंन)

आँधियाँ चल रही हैं नफ़रत की।
शमअ रोशन करो मुहब्बत की।

जिसको तदबीर पर यक़ीन नहीं
बात करता है वह ही किस्मत की।

दुश्मने जान हो गए उमरा
में ने मुफ़लिस की जब हिमायत की।

रहबरी के लिए चुना जिसको
साथ उसने मेरे सियासत की।

होश में आ जा बागबाने चमन
हो गई इब्तदा बग़ावत की।

उनके जलवों से वह नहीं वाकिफ़
बात करते हैं जो कियामत की।

वक़्त तस्दीक़ इम्तहान का है
राह मत छोड़ना सदाक़त की।

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 20, 2017 at 9:04pm
मुहतरम गुरप्रीत सिंह साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया,---उमरा का मतलब है ,अमीर लोग, यह अमीर का बहुवचन है
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 20, 2017 at 1:25pm

आ. तस्दीक अहमद साहब,

अच्छी  ग़ज़ल हुई है ..
दो मिसरों में तनाफुर का    ऐब नुमायाँ है ..
.
जिसको तदबीर पर यक़ीन नहीं
जिन को तदबीर पर नहीं है यकीं ...
.
क़्त तस्दीक़ इम्तहान का है
वक़्त  है इम्तहान का स्दीक़
.
कियामत को क़ियामत कर लें ... सादर 

Comment by Sushil Sarna on May 20, 2017 at 12:45pm

आदरणीय तस्दीक साहिब इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 20, 2017 at 11:48am

आ. भाई तस्दीक अहमद जी , इस सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by Gurpreet Singh jammu on May 20, 2017 at 11:12am
वाह वाह आदरणीय तस्दीक जी बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने उमरा का अर्थ जानना चाहूंगा
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 20, 2017 at 10:45am
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Mohammed Arif on May 20, 2017 at 10:31am
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब, हर शे'र उम्दा । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

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