For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मिरा गिरना किसी की है मसर्रत - ( गिरिराज )

1222    1222    122

है तर्कों की कहाँ.. हद जानता हूँ

मुबाहिस का मैं मक़्सद जानता हूँ

 

करें आकाश छूने के जो दावे

मैं उनका भी सही क़द जानता हूँ

 

बबूलों की कहानी क्या कहूँ मैं

पला बरगद में, बरगद जानता हूँ

 

बदलता है जहाँ, पल पल यहाँ क्यूँ

मै उस कारण को शायद जानता हूँ

 

पसीने पर जहाँ चर्चा हुआ कल
वो कमरा, ए सी, मसनद जानता हूँ

 

यक़ीनन कोशिशें नाकाम होंगीं

मै उनके तीरों की जद, जानता हूँ

 

मिरा गिरना किसी की है मसर्रत   

हुआ है कौन गद गद, जानता हूँ   

******************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
यह गज़ल आ. समर भाई  की गज़ल की अधूरी ज़मीन पर कही है ... अधूरी इसलिये, क्योंकि इसमे काफिया मेरी है और रदीफ आ. समर भाई जी की ... आभार आ. समर भाई जी का ।

Views: 887

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 2, 2017 at 8:26am

आ. गिरिराज जी 
अच्छी ग़ज़ल हुई है ...बधाई ...
एक बात नोटिस में   आई है....
अब हम सब की ग़ज़लें   किसी और के रँग में नहीं होती,,, सब के   अपने अपने रँग उभरने लगे हैं.....
ये OBO पर अभ्यास    और तपस्या के चलते हुआ है ..
आपको बधाई और obo   को धन्यवाद 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 1, 2017 at 8:26pm
मिरा गिरना किसी की है मसर्रत
हुआ है कौन गद गद, जानता हूँ ...बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही आदरणीय..सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 1, 2017 at 7:52pm
मुहतरम जनाब गिरिराज साहिब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,शेर दर शेर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें/--कई जगह टाइप गलती हुई है ,
आकाशा-आकाश,उनेके-उनके,मसर्रत--मुसर्रत,--मुहतरम समर साहिब ने मार्ग दर्शन कर दिया है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 7:16pm

आदरणीय समर भाई , गज़ल पर उपस्थित हो , उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हृदय से आभार । आपकी इस्लाह के लिये पुनः आपका आभार ... तदानुसार सुधार कर लूँगा ।

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2017 at 7:03pm

है तर्कों की कहाँ.. हद जानता हूँ
मुबाहिस के मैं मक़्सद जानता हूँ

करे आकाशा छूने के जो दावे
मैं उनका भी सही क़द जानता हूँ

वाह बहुत खूबसूरत अशआर कहे हैं आदरणीय ... मज़ा आ गया ... दिल से बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब।

Comment by Samar kabeer on May 1, 2017 at 6:58pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,मेरी ज़मीन में क़ाफ़िया बदल कर आपने ग़ज़ल कही,इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिये शुक्रिया ।
अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हु ।

'मुबाहिसा के मैं मक़सद जानता हूँ'
मतले के इस सानी मिसरे में 'मुबाहिसा'शब्द भ्यवचन है,और क़ाफ़िया एक वचन में उसके बाद 'के'शब्द का जोर भी बहुवचन पर है, इसलिये उचित ये होगा कि सानी मिसरा यूँ कर लें:-
'मुबाहिस का में मक़सद जानता हूँ '

'करे आकाश छूने के जो दावे
मैं उनका भी सही क़द जानता हूँ'
इस शैर के ऊला मिसरे में 'करे'शब्द है जो एक वचन के लिये है, और सानी मिसरे में 'उनके'शब्द है जी बहुवचन के लिये है, इसलिये उचित ये होगा कि इसे यूँ कर लें:-
'करें आकाश छूने के जो दावे
में उनका भी सही क़द जानता हूँ'
या
'करे आकाश छूने के जो दावे
मैं उसका भी सही क़द जानता हूँ'

'वो जमरा,एसी, मसनद जानता हूँ'
ये मिसरा शिल्प के लिहाज से कमज़ोर है, देखियेगा ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 6:53pm

आदरनीय राम अवध भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 6:52pm

आदरनीय रवि भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका । आपके जिस शेर को इंगित किया था उसे सुधार दिया हूँ । काफिया का ध्यान दिलाने के लिये आपका पुनः आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 6:50pm

आदरनीय आरिफ बाई , गज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 1, 2017 at 6:06pm
अच्छी ग़ज़ल बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service