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तरही गजल : फूल जंगल में खिले किन के लिये

2122 2122 212

कार्ड काफी था न लॉगिन के लिए
वो हमे भी ले गए पिन के लिए

चाँद पर जाकर शहद वो खा रहे
आप अब भी रो रहे जिन के लिए

शेर को आता है बस करना शिकार
फूल जंगल में खिले किन के लिए

गुठलियों के दाम भी वो ले गया
उसने शीरीं आम जब गिन के लिये

आ गई अब ब्रेड में बीमारियाँ
जी रहे थे क्या इसी दिन के लिए

आये थे जापान से कल लौट कर
फिर उड़े वो रूस बर्लिन के लिए

पास पप्पू एक दिन हो जाएगा
है दुआ इस गैर मुमकिन के लिए

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Ravi Shukla on April 20, 2017 at 12:53pm

आदरणीय बृजेश जी आपका गजल पसंद करने के लिये आभार

Comment by नाथ सोनांचली on April 20, 2017 at 8:43am
आ गई अब ब्रेड में बीमारियाँ
जी रहे थे क्या इसी दिन के लिए

आये थे जापान से कल लौट कर
फिर उड़े वो रूस बर्लिन के लिए

पास पप्पू एक दिन हो जाएगा
है दुआ इस गैर मुमकिन के लिए

वाह वाह वाह वाह वाह, बहुत ही उम्दा और मजाकिया लहजा, नमन आपको। इस उम्दा ग़ज़ल पर दाद के साथ मुबारकबा कबूल फरमायें न
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 19, 2017 at 8:27pm
हाहाहा..आदरणीय बहुत ही खूब मस्ती भरी ग़ज़ल हुई..सादर
Comment by Samar kabeer on April 19, 2017 at 6:25pm
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
'चाँद पर जाकर शहद वो खा रहीं'
इस मिसरे में 'रहीं'कहना क्या ज़रूरी था,'रहे'कीजिये न ?

'शेर को आता है बस केवल शिकार'
इस मिसरे में 'केवल'शब्द भर्ती का है,:-
'शेर को आता है बस करना शिकार'

'शीर जैसे आम जब गिन के लिये'
क्या बात हुई ?'शीर'का अर्थ आपने शायद 'मीठे'ले लिया है,वो शब्द है 'शीरीं',"शीर" का अर्थ है 'दूध':-
'उसने शीरीं आम जब गिन के लिये'
बाक़ी शुभ शुभ ।
Comment by Ravi Shukla on April 18, 2017 at 6:10pm

आदरणीय मित्रो  ओ बी ओ के तरही मुशायरे संख्‍या 71 में ये गजल भी कही थी पर उस समय ये गजल पोस्‍ट नही हो सकी  आज बस आपके लिये यहा पोस्‍ट कर दी ।इसके विषय उस समय के हिसाब से ही है उसी अनुसार इसे देंखें और अपनी राय दें । सादर

Comment by Ravi Shukla on April 18, 2017 at 6:08pm

बहुत बहुत धन्‍यवाद आदरणीय आरिफ साहब गजल पसंद आई आपको

Comment by Mohammed Arif on April 18, 2017 at 5:47pm
आ गई अब ब्रेड में बीमारियाँ
जी रहे थे क्या इसी दिन के लिए । वाह!वाह!!बिलकुल नया अंदाज़
शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आदरणीय रवि शुक्ला जी ।

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