For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....रही माँ पूछती आँसू बहा कर

1222 1222 122


मिलेगा क्या तुम्हें परदेश जा कर
रही माँ पूछती आँसू बहा कर

तड़पता छोड़कर तन्हा शजर को
परिंदा उड़ गया पर फड़फड़ा कर

बहल जाये विकल मासूम बचपन
नजर भर देख ले माँ मुस्कुरा कर

है पल पल टूटती साँसों की माला
बिता लो चार पल ये हँस हँसा कर

न जाओ छोड़कर 'ब्रज' कुंज गलियाँ
दरख्तों ने कहा ये कसमसा कर

.
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 583

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 31, 2017 at 8:02pm
आदरणीय रवि शुक्ला जी आदरणीय समर सर..आप बड़े इंगित कर रहे हैं तो निश्चय ही अटकाव होगा आदरणीय समर सर के बताये अनुसार सुधार करता हूँ..दरअसल आदरणीय मतले के पीछे जो मेरी सोच है.."मिलेगा क्या तुम्हें परदेश जा कर,रही माँ पूँछती आँसू बहा कर"अर्थात व्यक्ति जा चूका माँ पूँछती ही रह गई..थोडा भूतकाल का भाव है.."यही माँ पूँछती आँसू बहा कर" से वर्तमान का भाव निकल के आ रहा है..अर्थात व्यक्ति जाने की तैयारी कर रहा है और माँ रोक रही है..लेकिन अग्रज कह रहे हैं तो कुछ कमी अवश्य होगी..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 31, 2017 at 6:40pm
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी रचना पटल पे आपके अमूल्य समय एवं उत्साहवर्धक टिप्पड़ी के लिए बारम्बार अभिनन्दन एवं आभार..सादर
Comment by Ravi Shukla on March 31, 2017 at 10:49am

आदरणीय ब्रजेश जी सुन्‍दर गजल कही आपने मतले के सानी पर हम भी अटके थे वाक्‍य विन्‍यास की दृष्टि से मिसरा सही नहीं हो रहा था । आदरणीय समर साहब की इस्‍लाह कारगर है । मकते में आपका नाम बहुत खुबसूरती के साथ आया है बहुत बहुत बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on March 29, 2017 at 7:30am
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन, बहुत खूबसूरत और दिल को छूती गजल, मतला और दूसरा शैर तो पढ़कर विभोर हो गया, दाद के साथ मूबरकबाद कबूल फरमायें
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 28, 2017 at 10:39pm
आदरणीय समर कबीर जी प्रणाम..हमेशा की तरह आपकी विस्तृत समीक्षात्मक टिप्पड़ी मनोवल बढ़ाने वाली और नए पाठ सिखाने वाली है..आपके बताये अनुसार सुधार करता हूँ..
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 28, 2017 at 10:35pm
रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन है आदरणीय मनोज कुमार अहसास जी..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 28, 2017 at 10:34pm
आदरणीय सुशील सरना जी रचना को ह्रदय से महसूस करने के लिए अंतस की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ..सादर
Comment by Samar kabeer on March 28, 2017 at 9:34pm
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मतले का सानी मिसरा यूँ कर लें तो गेयता बहतर हो जायेगी:-
'यही माँ पूछती आँसू बहा कर'

दूसरे शैर के ऊला मिसरे में 'तड़फता'को "तड़पता"कीजिये ।
Comment by मनोज अहसास on March 28, 2017 at 4:18pm
Bahut khub
Sadar badhai
Comment by Sushil Sarna on March 28, 2017 at 2:55pm

मिलेगा क्या तुम्हें परदेश जा कर
रही माँ पूछती आँसू बहा कर

तड़फता छोड़कर तन्हा शजर को
परिंदा उड़ गया पर फड़फड़ा कर

वाह आदरणीय बृजेश जी बहुत ही गहन भाव का दिलकश प्रस्तुतीकरण। ... हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service