For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 1222 221 1222

इक जख़्म पुराना था फिर जख़्म नया दोगे ।
मासूम मुहब्बत है कुछ दाग लगा दोगे ।।

कमजर्फ जमाने में जीना है बहुत मुश्किल ।
है खूब पता मुझको दो पल में भुला दोगे ।।

एहसान करोगे क्या बेदर्द तेरी फ़ितरत ।
बदले में किसी भी दिन पर्दे को उठा दोगे ।।

कैसे वो यकीं कर ले तुम लौट के आओगे ।
इक आग बुझाने में इक आग लगा दोगे ।।

आदत है पुरानी ये गैरों पे करम करना ।
अपनों की तमन्ना पर अफ़सोस जता दोगे ।।

मजबून वफाओं का लिक्खा है बहुत खत में ।
बेख़ौफ़ हवाओं में यह ख़त भी उड़ा दोगे ।।

तुमने ही निभाया कब किरदार भरोसे का ।
अश्कों की इमारत को लहजों में छुपा दोगे ।।

चर्चा है सितारों में है चाँद नया क़ातिल ।
गर जुर्म हुआ साबित फरमान सुना दोगे ।।

--- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 599

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 23, 2017 at 4:39pm
आदरणीय भंडारी साहब सादर नमन अत्यंत महत्वपूर्ण इस्लाह के लिए ह्रदय से आभारी हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 23, 2017 at 9:20am

आदरनीय नवीन भाई , खूबसूरत गज़ल के लिये बधाइयाँ आपको । आ,रवि भाई की बातों का ख्याल कीजियेगा । -- कुछ सलाह है .. सही लगे तो स्वीकार करें ...
इक जख़्म पुराना था फिर जख़्म नया दोगे   ---- इक जख़्म पुराना है इक और नया दोगे

इक आग बुझाने में इक आग लगा दोगे ।। - इक आग बुझाओगे  इक आग लगा दोगे ।।

अश्कों की इमारत को लहजों में छुपा दोगे । -- अश्कों की इबारत को लहजों में छुपा दोगे ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 22, 2017 at 12:29pm
जनांब मुहम्मद आरिफ साहब शुक्रिया ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on March 22, 2017 at 12:28pm
आ0 मोहित मुक्त जी सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on March 22, 2017 at 12:27pm
आदरणीय रवि शुक्ल जी सादर आभार ।
Comment by Ravi Shukla on March 21, 2017 at 12:01pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी  बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है आपने । बधाई स्‍वीकार करें

चौथे श्‍ोर मे तकाबुले रदीफ हो गया है और छठे शेर में शायद मजमून की जगह मजबून टाईप हो गया है देख लीजियेगा ।सादर

Comment by Mohammed Arif on March 19, 2017 at 10:38pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही है आपने । शेर दर शेर दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल कीजिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service