For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम कहाँ पूरा होता है.... गीत / डॉ० प्राची

इक क़तरा भी रह न जाए, करना होगा ख़ुद को अर्पण,
प्रेम कहाँ पूरा होता है, अगर अधूरा रहे समर्पण।

लहर-लहर लहरें इतराकर
जी भर चंचलता तो जी लें,
हो वाचाल अगर अंतः तो
कैसे फिर होठों को सी लें,
तृप्त हुई लहरें खुद थम कर आखिर बन जाती हैं दर्पण।
प्रेम...

बारी-बारी इक दूजे में
आओ हो जाएँ हम-तुम गुम,
मुझको भी अभिव्यक्ति मिले और
ख़ुद को भी अभिव्यक्त करो तुम,
रात दिवस से, दिवस रात से, यही कहा करते हैं क्षण-क्षण।
प्रेम...

प्रेम डगर पर क़दम रुके तो
बने अधूरी प्रेम कहानी,
चाँद बने आवारा आशिक
लहरें तड़पें बन दीवानी,
उतनी ही तड़पन बढ़ती है, जितना गहराता आकर्षण।
प्रेम...

साँसों ने हर सुर के सिमरन
में बस तुमको दुहराया है,
जब-जब ढूँढा तब-तब तुमको
ख़ुद में ही तो लय पाया है,
क्या मेरा क्या रहा तुम्हारा, प्रेमरंग में जब है हर कण।
प्रेम...

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 505

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 17, 2017 at 5:24pm
वाह आदरणीया बहुत सुन्दर भावों से परिपूर्ण रचना..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2017 at 11:23pm

वाह ! निजता की सामुदायिक अभिव्यक्ति प्रभावी है, आ० प्राचीजी. 

शुभ-शुभ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 15, 2017 at 7:42pm

आ० प्राची जी . 16-16 मात्रा से सज्जित गीत बहुत ही मधुर और मोहक है .-----------मुझको भी अभिव्यक्ति मिले और------ यहाँ 17 मात्राएँ  होने से प्रवाह बाधित हुआ है . आपसे संशोधन की अपेक्षा है . सादर .

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2017 at 11:07pm
आदरणीया प्राची जी वाकई लाजबाब गीत है जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है इस शानदार रचना जे लिए ढेर सारी बधाई सादर प्रणाम के साथ
Comment by रामबली गुप्ता on February 14, 2017 at 6:50pm
वाह वाह वाह आदरणीया प्रवाह लय शिल्प और भाव हर दृष्टिकोण से बेहतरीन गीत हुआ है आदरणीया। शुरू से अंत तक बिना रुके पढ़ता चला गया ऐसा प्रवाह मिला। हृदय से बधाई स्वीकारें इस उत्कृष्ठ रचना के लिए।
एक जिज्ञासा- "खुद में ही तो लय पाया है" या "खुद के लय में ही पाया है" थोड़ा स्पष्ट करें। सम्भव है मैं भावों तक न पहुंच पा रहा होऊँ।
Comment by Mohammed Arif on February 14, 2017 at 5:32pm
आदरणीया प्राची जी आदाब,प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है । बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2017 at 5:24pm

वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह अतिसुन्दर गीत प्रिय प्राची जी बहुत पसंद आया दिल  से बधाई लीजिये इस गीत पर. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service