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प्रेम कहाँ पूरा होता है.... गीत / डॉ० प्राची

इक क़तरा भी रह न जाए, करना होगा ख़ुद को अर्पण,
प्रेम कहाँ पूरा होता है, अगर अधूरा रहे समर्पण।

लहर-लहर लहरें इतराकर
जी भर चंचलता तो जी लें,
हो वाचाल अगर अंतः तो
कैसे फिर होठों को सी लें,
तृप्त हुई लहरें खुद थम कर आखिर बन जाती हैं दर्पण।
प्रेम...

बारी-बारी इक दूजे में
आओ हो जाएँ हम-तुम गुम,
मुझको भी अभिव्यक्ति मिले और
ख़ुद को भी अभिव्यक्त करो तुम,
रात दिवस से, दिवस रात से, यही कहा करते हैं क्षण-क्षण।
प्रेम...

प्रेम डगर पर क़दम रुके तो
बने अधूरी प्रेम कहानी,
चाँद बने आवारा आशिक
लहरें तड़पें बन दीवानी,
उतनी ही तड़पन बढ़ती है, जितना गहराता आकर्षण।
प्रेम...

साँसों ने हर सुर के सिमरन
में बस तुमको दुहराया है,
जब-जब ढूँढा तब-तब तुमको
ख़ुद में ही तो लय पाया है,
क्या मेरा क्या रहा तुम्हारा, प्रेमरंग में जब है हर कण।
प्रेम...

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 17, 2017 at 5:24pm
वाह आदरणीया बहुत सुन्दर भावों से परिपूर्ण रचना..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2017 at 11:23pm

वाह ! निजता की सामुदायिक अभिव्यक्ति प्रभावी है, आ० प्राचीजी. 

शुभ-शुभ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 15, 2017 at 7:42pm

आ० प्राची जी . 16-16 मात्रा से सज्जित गीत बहुत ही मधुर और मोहक है .-----------मुझको भी अभिव्यक्ति मिले और------ यहाँ 17 मात्राएँ  होने से प्रवाह बाधित हुआ है . आपसे संशोधन की अपेक्षा है . सादर .

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 14, 2017 at 11:07pm
आदरणीया प्राची जी वाकई लाजबाब गीत है जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है इस शानदार रचना जे लिए ढेर सारी बधाई सादर प्रणाम के साथ
Comment by रामबली गुप्ता on February 14, 2017 at 6:50pm
वाह वाह वाह आदरणीया प्रवाह लय शिल्प और भाव हर दृष्टिकोण से बेहतरीन गीत हुआ है आदरणीया। शुरू से अंत तक बिना रुके पढ़ता चला गया ऐसा प्रवाह मिला। हृदय से बधाई स्वीकारें इस उत्कृष्ठ रचना के लिए।
एक जिज्ञासा- "खुद में ही तो लय पाया है" या "खुद के लय में ही पाया है" थोड़ा स्पष्ट करें। सम्भव है मैं भावों तक न पहुंच पा रहा होऊँ।
Comment by Mohammed Arif on February 14, 2017 at 5:32pm
आदरणीया प्राची जी आदाब,प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है । बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 14, 2017 at 5:24pm

वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह अतिसुन्दर गीत प्रिय प्राची जी बहुत पसंद आया दिल  से बधाई लीजिये इस गीत पर. 

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