For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिवर्तन....(नवगीत) // डॉ० प्राची

नियति चक्र में 
परिवर्तन निश्चित अंकित है,
होना है, हो कर रहता है...
समय प्रबल है 
जोड़-तोड़ से कब बंधता है 
बहना है, प्रतिपल बहता है...

आँख मींचते 
आवरणों को क्यों पकड़ा है ?
छोड़ो इनको, हट जाने दो,
धुंध सींचते 
संबंधों के रिसते बादल
गर्जन करके छट जाने दो,

मकड़जाल में 
अपने मन के फँसे रहे तो
फिर क्या होगा? कुछ तो सोचो !
भीतर-बाहर
परिवर्तन तो करना होगा 
जमी सोच की परतें कोंचो,

बरसों इसको 
किया अनसुना, तो क्या पाया ?
सुनो ज़रा ! मन क्या कहता है ?

विषबेलों के साए में 
केसर को बोना, 
हो चाहे जितना भी मुश्किल !
आँखों में बस जाए तो 
मुश्किल कब पाना-
चाहे क्षितिज पार हो मंजिल ?

पार करेंगे 
पंछी कैसे सात-समंदर 
तट पर बैठे अगर डरें तो, 
ताना-बाना 
सब केसरिया हो जाएगा
निश्चय कर यदि यत्न करें तो,

ना सुधरी तो 
पंगु सभ्यता ढह जाएगी 
किला रेत का ज्यों ढहता है...

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 5, 2017 at 2:05pm

आदरणीया प्राचीजी, वाह बेहतरीन नवगीत । बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 27, 2017 at 9:20pm

परिवर्तन पर आधारित इस गीत पर उत्साहवर्धन करने के लिए सादर धन्यवाद आ० गिरिराज भंडारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 27, 2017 at 9:19pm

आदरणीय आशुतोष जी 

नवगीत के शिल्प को इतनी गहनता के साथ समझने का प्रयास करते देख कर बहुत अच्छा लग रहा है.

नवगीत, पारंपरिक गीतों की नीँव पर खड़े हो कर भी उनसे काफी भिन्न होते हैं, इसमें गति यति ले अंतर्गेयता आदि के प्रयोगों के लिए अनंत आकाश है 

प्रस्तुत गीत ८/१६/१६/ पर न देख कर इसकी एक पंक्ति को २४-१६ मात्रिकता पर देखें  

तुकांत ४० -४० पर मिलाए गए हैं 

आप देखिये 

फिर कोई संशय होता है तो पुनः चर्चा करते हैं 

सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2017 at 8:16pm

आदरणीया प्राची जी , आमूल चूल परिवर्तन के लिये सचेत करता नवगीत बहुत अच्छा लगा । आपको हार्दिक बधाइयाँ नवगीत के लिए।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 25, 2017 at 5:07pm

आदरणीया प्राची जी ..इस शानदार गीत के लिए हार्दिक बधाई / आपके गीतों से गीतों को सीखना शुरू किया है /इस बिधा में मेरी कोई जानकारी नहीं है / मैं कोई प्रश्न नहीं उठा रहा हूँ बस एक निवेदन कर रहा हूँ /

विषबेलों के साए में 
केसर को बोना, 
हो चाहे जितना भी मुश्किल !
आँखों में बस जाए तो 
मुश्किल कब पाना-
चाहे क्षितिज पार हो मंजिल ?  हर पद में ८ १६ १६ ८ १६ १६ का मात्रिक क्रम समझ में आया लेकिन इस पद में मैं थोडा भ्रमित हूँ / गीत के बिषय में जानकारी संक्षिप्त है / गीत पर कोई लेख भी नहीं मिल पा रहा है //आपके नजरिये से गीत के बिषय में आपकी अब तक अर्जित विषद जानकारी से मार्गदर्शन की अपेक्षा एवं विनम्रता के साथ निवेदन के साथ सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on January 23, 2017 at 8:38am
आद0 प्राची सिंह जी सादर अभिवादन, बेहतरीन बिम्ब बुनती उम्दा सृजन के लिए बधाई निवेदित है।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2017 at 1:18am

प्रस्तुत अभिव्यक्ति पर उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए सादर धन्यवाद आ० समर कबीर जी , आ० शेख शाहजाद उस्मानी जी , और आ० मो० आरिफ जी 

Comment by Mohammed Arif on January 22, 2017 at 10:49pm
आदरणीया प्राचीजी, बेहतरीन नवगीत । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 22, 2017 at 9:57pm
बेहतरीन बिम्बों में गहरे चिंतन, भाव व विचार व्यक्त करती बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरमा डॉ. प्राची सिंह साहिबा।
Comment by Samar kabeer on January 22, 2017 at 9:03pm
वाह बहुत ख़ूब ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service