For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिट्ठू का घर (बाल-लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

गुड्डू को बहुत मज़ा आता था जब पड़ोस वाली चाची का मिट्ठू उसका नाम बार-बार रटता था। आख़िर उनके बेटे से ज़्यादा समय गुड्डू ही तो मिट्ठू मियाँ को दिया करता था, कभी उसकी पसंद का दाना चुगाकर या उसके साथ ख़ूब बातें करते हुए! बहुत ज़िद करने पर भी उसके मम्मी-पापा उसके लिए मिट्ठू नहीं ख़रीद रहे थे, जबकि चाची से उसने एक पुराना पिंजड़ा लेकर इंतज़ाम से रख दिया था। पापा को गुड्डू का पड़ोस में बार-बार जाना पसंद नहीं था। आज इतवार के दिन जब वह ज़िद पर अड़ा, तो पापा उसे मोटर-साइकल पर पार्क घुमाने ले जा रहे थे। रास्ते में ही सड़क के किनारे घने पेड़ों पर मिट्ठुओं की टोली को देख गुड्डू ख़ुश होकर बोला- "देखो पापा , मस्ती हो रही है मिट्ठुओं की। रुको पापा, मुझे देखना है इतने सारे मिट्ठू!"

पापा ने मोटर-साइकल रोक कर मोबाइल कैमरे से वीडियो बनाना शुरू कर दिया। गुड्डू पेड़ों पर चहचहाते मिट्ठुओं को एक डाल से दूसरी डाल पर कूंदते-फुदकते देख कर आनंदित हो रहा था। तभी एक ग्रामीण आदमी की आवाज़ सुनाई दी-"भाईसाहब, बच्चे के लिए एक मिट्ठू ख़रीद लो न, मेरे पास हैं घर पर! या कहें तो एक पकड़ कर दे दूँ!"

यह सुनकर गुड्डू पड़ोसन चाची के मिट्ठू के बारे में सोचने लगा।

"क्यों बेटा, एक मिट्ठू अपने घर ले चलें!" पापा ने कहा।

"नहीं पापा, यही मिट्ठू का असली घर है!" गुड्डू ने जवाब दिया।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 885

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 6, 2016 at 10:48am
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर अपने प्रेरक अनुभव साझा करते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब
Comment by रामबली गुप्ता on November 1, 2016 at 4:46am
बहुत ही सुंदर लघुकथा हुई है आद0 शेख शाहजाद साहब।दिल से बधाई लीजिए।सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 31, 2016 at 10:41am

मोहतरम जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब, परिंदों से प्यार करने की सीख देती सुन्दर लघुकथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Samar kabeer on October 30, 2016 at 9:33pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,आपकी कघुकथा पढ़ कर मुझे अपना बचपन याद आ गया,मेरे पास भी एक मिट्ठू था जो मुझे रोज़ सुब्ह मेरा नाम लेकर जगाया करता था,एक दिन बिल्ली ने उसे मार दिया,में उसकी मौत पर बहुत रोया था,आज भी मुझे उसकी यद् मुझे सताती है,जवान होने पर फिर दिल चाहा कि एक मिट्ठू पल लूँ,मगर उस वक़्त वही विचार मेरे मन में आया जो आपकी लघुकथा की पंच लाइन है ।
बहुत ख़ूब वाह दिल छू लिया आपकी इस बहतरीन और सन्देशप्रद प्रस्तुति ने,ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 29, 2016 at 2:13pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।आपने लघुकथा के माध्यम से पशु पक्षियों की आज़ादी का सुन्दर संदेश दिया है।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 29, 2016 at 4:35am
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर पहली त्वरित प्रतिक्रिया व हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीया राहिला जी।
Comment by Rahila on October 28, 2016 at 7:39pm
बिल्कुल सही।बहुत अच्छे संदेश को देती हुयी रचना।बहुत बधाई आदरणीय आपको।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
9 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service