For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़िन्दगी (कविता)

छोटी छोटी सी खुशियां
भर देती हैं  झोली
हंसी ख़ुशी दिन बीते जब
ज़िन्दगी लगती  हमजोली

जीवन के है रंग निराले
जो  खेले आँख मिचोली
एक आये जब दूजा जाए  
ज़िन्दगी लगती मखमली |

लेकर बहार आती है ज़िन्दगी
प्यार से जब सींचि जाती है
कड़वाहट का ज़हर भी पीती
अपना असर दिखाती है |

अपनों के बीच अपनों के संग

प्यार को पाती है ज़िन्दगी

प्यार गर न मिले तो

सूखे पत्तों की तरह मुरझा जाती है ज़िन्दगी |

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 440

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 8, 2016 at 3:32pm
धन्यवाद आदरणीय सुरेश जी ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 8, 2016 at 3:17pm
आदरणीया कल्पना भट्ट जी जिन्दगी के सफर को खूबसूरत तरीके से सजाया है आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 8, 2016 at 1:00pm
धन्यवाद आदरणीय सुशिल जी ।
Comment by Sushil Sarna on October 8, 2016 at 12:55pm

ज़िन्दगी के विभिन्न आयामों को चित्रित करती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट जी। 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 7, 2016 at 9:14pm
धन्यवाद आदरणीया राजेश दी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 7, 2016 at 8:50pm

बहुत  प्यारी कविता बहुत बहुत बधाई प्रिय कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 7, 2016 at 8:36pm
धन्यवाद आदरणीया अलका जी ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 7, 2016 at 8:29pm

बहुत सुंदर कविता के लिए बधाई  आदरणीया कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 7, 2016 at 3:47pm
आदाब जनाब समर साहब । बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on October 7, 2016 at 11:44am
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,सुन्दर लगी आपकी कविता,बधाई इस प्रस्तिति पर स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service