For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ४५

है ख़ुदी जब तक बनी खुद्दारियाँ जातीं नहीं 
हो अना जब सामने दुश्वारियां जातीं नहीं

मुश्किलें हैं कोह की मानिंद गिर्दोपेश में 
ज़िंदगी की ज़िल्लतोलाचारियाँ जातीं नहीं

हूँ फसां मैं रोज़गारी फ़िक्र के गिर्दाब में 
सख्त हैं हालात जिम्मेदारियाँ जातीं नहीं

दिल हुआ मजरूह जिसकी इक नज़र से उम्र भर 
उस फ़ुसूनेनाज़ की आजारियाँ जातीं नहीं

वो नहीं मुझको मिला सौगात लेकिन दे गया 
खू-ए-सोज़िश हो गई गमख्वारियाँ जातीं नहीं

कर दवा या हो दुआ फ़रियाद करने से फ़क़त 
उल्फ़तेनाकाम की बीमारियाँ जातीं नहीं

अधखिले होंठों से आतीं हैं फुहारें लम्स की 
गुंचा-ए-इब्हाम की बेदारियाँ जातीं नहीं

~ राज़ नवादवी 
०१/१०/२०१६

ख़ुदी- स्वयं के होने का भाव; खुद्दारी- स्वाभिमान; अना- अहम्; दुश्वारियां- मुश्किलें; मानिंद- तरह; गिर्दोपेश- आसपास; ज़िल्लतोलाचारियाँ- अपमान एवं मजबूरियाँ; गिर्दाब- भंवर; मजरूह- घायल; फ़ुसूनेनाज़ की आजारियाँ- प्रेमिका के सौन्दर्य से मिली पीड़ाएं; खू-ए-सोज़िश- दर्द सहने की आदत; गमख्वारियाँ- गम को खा कर जीना; उल्फ़तेनाकाम- असफल प्रेम; लम्स- स्पर्श; गुंचा-ए-इब्हाम- अधखिली कलियाँ; बेदारियाँ- जाग्रतावस्था

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on October 7, 2016 at 7:22pm

मुह्तरम समीर कबीर साहेब, आदाब अर्ज़ है. आपकी इस्लाह का दिल से ममनून हूँ. किताबें और मंच- दोनों ही हासिल हैं. आपकी हौसलाअफजाई भी. दुकानदारी की भाग-दौड़ से वक़्त निकलने की पूरी कोशिश करूंगा. हम आपके शुक्रगुज़ार हैं कि आप सबके बहदूद और बेहतरी की बात करते हैं चाहे वो गज़लगोई का मसला ही क्यूँ न हो. 

Comment by Samar kabeer on October 6, 2016 at 11:04pm
//मुझे अफ़सोस है कि मुझे रुक्नोअरूज का कुछ खास इल्म नहीं है//

लेकिन इतना कह देने से काम नहीं चलेगा जनाब,अगर ग़ज़ल कहना है तो अरूज़ की कुछ शुद बुद होना ज़रूरी है,आप इसे सीखने का प्रयास करें, किताबों का अध्यन करें,इसके अलावा इस मंच पर भी ये सब सिखाने का प्रबंध है,आप ओबीओ में ग़ज़ल की कक्षा का लाभ उठा सकते हैं ।
Comment by राज़ नवादवी on October 6, 2016 at 12:29pm

जनाब शकूर साहेब, आपने शायद बजा फरमाया है. शुक्रिया 

Comment by राज़ नवादवी on October 6, 2016 at 12:28pm

मुहतरम कबीर साहेब, आपकी मुबारकबाद का दिली शुक्रिया. मुझे अफ़सोस है कि मुझे रुक्नोअरूज का कुछ खास इल्म नहीं है, यह मेरी कमी है. कोशिश है कि दरूनी लय के साथ अपनी बात कहूँ. मैं मानता हूँ कि मेरे अशआर में और भी कई तकनीकी खामियां होंगी. कोशिश जारी रहेगी कि मैं कुदरती लय जैसे लालालाला की तर्ज़ पे अपने अशआर में सही वज़न पैदा कर सकूँ. सादर 

Comment by राज़ नवादवी on October 6, 2016 at 12:16pm

शुक्रिया आदरणीया कल्पना भट्ट जी. दिल से आभार

Comment by राज़ नवादवी on October 6, 2016 at 12:15pm

शुक्रिया बृजेश भाई, दिल से आभार

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 5, 2016 at 8:16pm

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई

Comment by Samar kabeer on October 5, 2016 at 5:30pm
जनाब राज़ साहिब आदाब,पहली बार आपकी ग़ज़ल से रूबरू हुआ हूँ ।
उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद कुबुल फरमाएं ।
दूसरे शेर में आपने 'ज़िल्लत-ओ-लाचारियां,मिला कर लिख दिया है,इसी तरह छटे शैर में,,उल्फ़ते नाज़ मिला कर लिख दिया है,देखिएगा।
आपने ग़ज़ल पर अरकान नहीं लिखे जो मंच का नियम है
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 4:58pm

बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय | हार्दिक बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 5, 2016 at 4:08pm

बहुत बढ़िया जनाब राज नवादवी जी बधाई, रदीफ जातीं नहीं लिखा है आपने शायद वो जाती नहीं होना चाहिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
11 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service