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सीमा ने बलिदान क्यों माँगा

कभी विधि चले  साथ 

कभी झटक दिए हाथ
कैसा ये खेल कैसे खिलौने 
बिन बदरा क्यों होती  बरसात    
अभी-अभी तो रशिम थी चौंधी
धरा का आँचल हुआ सुनहरा
बदरा को क्यों अभी था आना 
लगा देना  पारस पर पहरा 
  
अभी-अभी थी दामिनी  कौंधी 
हुआ अवाक तिमिर घन बहरा
जुगनू को क्यों खबर थी होनी 
गहन गुफा में रहता ठहरा 
 
अभी-अभी तो कली थी चौंकी 
उतरा था  घूंघट का पहरा 
पवन को क्यों था झोंका होना
ढलकाना  खुश्बू का  गगरा 
 
अभी-अभी तो लब थे बोले  
गागर में सागर सा  ठहरा   
अब अर्थों को क्यों था खोना 
शब्दों को होना था बहरा 
 
अभी-अभी सिन्दूर चढ़ा था 
मेंहदी का रंग हुआ था गहरा 
सीमा ने  बलिदान क्यों माँगा 
विधि-दंश का गरल ये गहरा  
 
 
मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by amita tiwari on November 1, 2016 at 9:59pm

आ० कल्पना जी ,अर्पणा जी ,गिरिराज जी  आशीष जी 

प्रोत्साहन  के लिए  आभार 

सस्नेह 

अमिता 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 8:31pm

बहुत बढ़िया रचना |

Comment by Arpana Sharma on October 4, 2016 at 3:48pm
एक शहीद की दुल्हन के मार्मिक भावों को दर्शाती कविता । मन को गहरे छू गई अमिता जी। बहुत सुंदर रचना

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2016 at 12:49pm

आदरनीया अमिता जी , आपको इस प्रस्तुति के लिये हार्दिक बधाइयाँ । किस विधा मे आपने रचना की है लिख देने से कुछ कहने और समझने मे आसानी होती ।

Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on October 2, 2016 at 10:16am

आदरणीया अमिता तिवारी जी!!!

बढ़िया  रचना है....बहुत बहुत बधाई आपको!!

सादर!!!

Comment by amita tiwari on October 1, 2016 at 7:09pm

मान्य  सुरेश जी,शकूर जी,सविता मिश्र जी ,समीर कबीर जी ,श्याम नारायण जी ,

आप सब की प्रोत्साहन सराहना से बहुत उत्साहित हूँ .

आभार स्वीकार करे.

सादर

अमिता  

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 1, 2016 at 3:17pm
आदरणीया अमिता तिवारी जी सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 1, 2016 at 1:04pm

अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by savitamishra on October 1, 2016 at 12:02pm

बहुत बढ़िया रचना |

Comment by Samar kabeer on October 1, 2016 at 10:35am
मोहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब,भावपूर्ण रचना के लिये बधाई स्वीकार करें ।

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