For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वर्गीय माँ की स्मृति में(ताटंक छंद)-रामबली गुप्ता

जीवनदात्री माता जब भी, याद तुम्हारी आती है।
हरि-सम निर्मल छवि माँ! तेरी मानस-पट पर छाती है।।
याद सदा आती हैं मइया! प्यार भरी तेरी बातें।
गाकर लोरी मुझे सुलाया, जागी तू कितनी रातें।।1।।

दूध-भात के कौर मधुर वो, मुझे न विस्मृत हो पाते।
जब आँचल में सो कर तेरे, हम सपनों में खो जाते।।
धूल-धूसरित तन ले जब आ बैठ गोद में जाता था।
हर भय से हर संशय से माँ! सहज-सुरक्षा पाता था।।2।।

बनी प्रथम गुरु-गुरुकुल तुम ही, नित नव बात बताती थी।
छोटों को दूं प्यार बड़ों को दूं सम्मान सिखाती थी।।
असत-अनीति-कुपथ पर रोका, सत में साथ दिया माता।
राष्ट्र-प्रेम-सद्भाव तुम्ही से, मैंने प्राप्त किया माता।।3।।

भूल कभी न पाता माँ! जब, चूम शीश तू लेती थी।
हर सुख-सपने अपने मुझ पर, अर्पित तू कर देती थी।।
स्नेह-समर्पण का तेरे यदि, अंश-मात्र लौटा पाता।
गर्व भाग्य पर करता जग में जीवन सफल बना जाता।।4।।

तेरे चरणों में ही मन्दिर-मस्जिद-तीर्थ-शिवाले माँ।
तेरी छवि में राम-ख़ुदा-शिव, हर यश देने वाले माँ।।
श्रद्धा-सुमन पिरो शब्दों में तुम्हे समर्पित है माता।
नैन-नीर से सिक्त भावना तुम को अर्पित है माता।।5।।
रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 737

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on September 4, 2016 at 2:50pm
स्नेह-समर्पण का तेरे यदि, अंश-मात्र लौटा पाता।
गर्व भाग्य पर करता जग में जीवन सफल बना जाता------- वाह! वाह! बहुत बढ़िया छंद पर सफलतम प्रयोग हुआ है आपके द्वारा आदरणीय रामबली जी। बहुत बहुत बधाई आपको।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 3, 2016 at 8:55pm
वाह आदरणीय रामबली जी सुन्दरम्
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 3, 2016 at 8:20pm
आदरणीय श्री रामबली गुप्ता जी सुन्दर छंद रचना पर हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by Samar kabeer on September 2, 2016 at 10:39pm
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत उम्दा लगे छन्द,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 2, 2016 at 9:23pm

आ० माँ एकबचन है तो वह शिवालय तो हो सकती है शिवाले नहीं

Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2016 at 9:45pm
बहुत बहुत आभार आद० गोपाल नारायण जी। सभी सुझाव अच्छे हैं। शिवाले को बहुवचन ही लिया है कोई त्रुटि है क्या यदि ऐसा है तो कुछ स्पष्ट करें तो मैं संशोधन कर लूँगा। सानुरोध
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 1, 2016 at 9:30pm

मानस-पट पर छाती है। /दृग-पट पर छा जाती है ।।

गा लोरी जब मुझे सुलाया,/ गाकर लोरी मुझे सुलाया

हर भय-संशय-कष्टों से माँ / हर भय से हर संशय से माँ -----------  कुछ सुझाव आदरणीय शायद आपको पसंद आये 

तीरथ तुम्ही शिवाले माँ।---------शिवाले बहुबचन है ----------------छंद  का निर्वाह सुन्दर है . सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service