For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-तुम्हारा प्यार चंदन-रामबली गुप्ता

वह्र=1222 1222 122

तुम्हारा प्यार चंदन हो गया है।
सुवासित आज तन-मन हो गया है।।

जो' सूना बाग दिल का था सदा से।
तेरे आने से' मधुबन हो गया है।।

ये' मन-मन्दिर तू' मूरत ईश जैसी।
ये' मेरा प्यार पूजन हो गया है।।

जलाया प्यार का जो दीप तुमने।
अँधेरा दिल ये' रौशन हो गया है।।

न टूटेगा जो' मर कर भी जहां में।
मेरा तुझसे वो' बन्धन हो गया है।।

धनुष-भौहें ये' चंचल नैन तेरे।
छुरी ये हाय! अंजन हो गया है।।

अधर तेरे सुधा नव-पुष्प-यौवन।
कमर का लोच दुश्मन हो गया है।।

पिया जो प्यार का अमृत अधर से।
प्रफुल्लित ये भ्रमर-मन हो गया है।।

तेरी पायल बजी दिल में झनन-झन।
मयूरा मन का' चेतन हो गया है।।

बसाया यूं उसे दिल में 'बली' जी।
मेरे सीने की' धड़कन हो गया है।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on September 9, 2016 at 5:30am
आद0 गिरिराज भाई जी ग़ज़ल पसन्द करने के लिए आपको बहुत बहुत आभार। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2016 at 4:51pm

आदरनीय रामबली भाई , बेहतरीन गज़ल कह्ही है , दिल से बधाइयाँ आपको हरेक शे र के लिये ।

Comment by रामबली गुप्ता on September 5, 2016 at 8:37pm
आद० समर कबीर साहब ग़ज़ल पर आपकी सराहना एवं प्रोत्साहन से अभिभूत हूँ। हृदय से आभार आपको। आपके सुझाव के अनुरूप गिरह वाले शेर में संशोधन कर दिया है। पुनः आभार।सादर
Comment by Samar kabeer on September 5, 2016 at 11:41am
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।गिरह बन्द मक़्ते का मिसरा अगर यूँ कर लें तो मुनासिब होगा:-

"बसाया यूँ उसे दिल में'बली'जी"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
5 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service