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ग़ज़ल ( क़लम तक न पहुंचे )

ग़ज़ल ( क़लम तक न पहुंचे )

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१२२ --१२२ --१२२ --१२२

वो पहुंचे मगर चश्मे नम तक न पहुंचे ।

हंसी में छुपे मेरे गम तक न पहुंचे ।

इनायत है उनकी मगर खौफ भी है

कहीं  सिलसिला यह सितम तक न पहुंचे ।

कई बार उनसे हुई बात लेकिन

मेरे जज़्बए दिल सनम तक न पहुंचे ।

यही रहबरों चाहती है रियाया

सियासत कभी भी धरम  तक न पहुंचे ।

तसव्वुर नहीं बंदिशें हैं मिलन पर

यकीं कैसे कर लें वो हम तक न पहुंचे ।

ख़िलाफ़े सितम कैसे बोले वो शायर

जो हिम्मत करे पर क़लम तक न पहुंचे ।

कभी कोई तकलीफ़ तस्दीक़ उनको

क़सम खाइये मरते दम  तक न पहुंचे ।

(मौलिक व अप्रकाशित )      

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 23, 2016 at 7:43pm

मोहतरम जनाब  गिरिराज साहिब ,ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 23, 2016 at 11:22am

आदरणेय तस्दीक भाई , बेहतरीन गज़ल से नवाज़ा है आपने ,मंच को ! हरेक शे र के लिये दाद हाज़िर है , कुबूल कीजिये ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2016 at 9:13pm

मोहतरम जनाब  समर कबीर  साहिब आदाब  ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --टाइप करते वक़्त यह गलती रह गयी ,  मेरी  कॉपी में तो ग़ज़ल  उर्दू में लिखी हुई है जो रे -ऐन -अलिफ़ -ये -अलिफ़ है ----शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2016 at 9:06pm

जनाब  श्याम नारायण   साहिब ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2016 at 9:06pm

जनाब  सतविंदर कुमार  साहिब ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2016 at 9:05pm

जनाब आशुतोष साहिब ,ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by Samar kabeer on August 22, 2016 at 3:23pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
चौथे शैर के ऊला मिसरे में 'रियाया'को "रिआया"कर लें ।
Comment by Shyam Narain Verma on August 22, 2016 at 3:13pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई! सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 22, 2016 at 1:58pm
बहुत खूब आदरणीय तस्दीक अहमद साहब।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 21, 2016 at 10:59pm
भाई तश्दीक जे इस रचना पर हार्दिक बधाई

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