For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( जश्ने आज़ादी )

ग़ज़ल ( जश्ने आज़ादी )
---------------------------
शिकवे गिले भुलाकर उल्फत को हम बढ़ाएं ।
मिल जुल के आओ जश्ने आज़ादी हम मनाएं ।

तोड़ें न मंदिरों को मस्जिद नहीं गिराएं ।
माहौल एकता का हम देश में बनायें ।

क़ुर्बानियों से जिनकी आज़ाद हम हुए हैं
हम उनके हक़ में आओ दस्ते दुआ उठायें ।

उल्फत से हम रहेंगे झगड़ा नहीं करेंगे
क़ौमी निशाँ के नीचे आओ क़सम ये खाएं।

गैरों ने जिस अदा से अपने वतन को लूटा
अपनों को भा गयी हैं शायद वही अदाएं ।

बस मेरी रहबरों से इतनी सी है गुज़ारिश
मज़हब की आड़ लेकर दंगे नहीं कराएं ।

इंसानियत के नाते हम सब हैं भाई भाई
तस्दीक़ कब है ज़ेबा बाहम लहू बहाएं ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 18, 2016 at 7:59pm

मोहतरम जनाब सौरभ साहिब , ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया ---


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 18, 2016 at 4:05pm

संदेशपरक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तस्दीक अहमद साहब.

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 18, 2016 at 12:33pm

मोहतरम गोपाल नारायण साहिब , ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 17, 2016 at 9:50pm

bahut badhiyaa , saadar .

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 17, 2016 at 8:17pm

मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,मेहरबानी ----

Comment by Samar kabeer on August 17, 2016 at 3:43pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,बहुत बढ़िया पैग़ाम दे रही है आपकी ग़ज़ल,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 16, 2016 at 7:50pm

मोहतरम  जनाब  शेख शहज़ाद  उस्मानी साहिब  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,मेहरबानी --

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 16, 2016 at 7:49pm

मोहतरम  जनाब गिरिराज   साहिब  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,मेहरबानी --

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 16, 2016 at 7:48pm

मोहतरमा  कल्पना  साहिबा  , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,मेहरबानी --

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 16, 2016 at 5:47pm
वाह... ऐसा ही तो हो..आमीन..
// गैरों ने जिस अदा से अपने वतन को लूटा
अपनों को भा गयी हैं शायद वही अदाएं ।// इस झकझोरते शे'अर के साथ सम्पूर्ण ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब। दुआओं के साथ काश हम यह सब चरितार्थ कर सकें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service