For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर कली अब कमल हो रही है

212  212  212  2

 

जिन्दगी अब सरल हो रही है

बात हर इक गजल हो रही है 

 

दलदली हो चुकी है जमीं पर,

हर कली अब कमल हो रही है

 

तितलियाँ भर रहीं हैं उड़ानें

नीति बेशक सफल हो रही है

 

आ रहा है कहीं से उजाला

रौशनी आजकल हो रही है

 

मखमली हो रही हैं हवाएं

मेंढकी भी विकल हो रही है

 

है दरोगा बड़ा लालची वो

धारणा अब अटल हो रही है

 

मौलिक/अप्रकाशित.

Views: 769

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 29, 2016 at 1:26pm

आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, आपसे दाद पाना सुखद लगा. सही तो यही है की मंच पर आपकी सक्रियता के कारण ही मैंने गजल मंच पर पोस्ट करना प्रारम्भ किया है. आपकी इस्लाह का सदैव स्वागत है. सादर.

"तितलियाँ भर रही हैं उड़ानें"......यह मिसरा और शेर महिलाओं के वायुसेना में जाने को लेकर कहा है. शायद आप ऊँचाई के लिए तितलियों का बिम्ब सही नहीं मान रहे हैं ऐसा लगता है.

"रौशनी हरिक पल हो रही है"...........क्या इसको ऐसा कर लेना ठीक होगा. "रौशनी आजकल हो रही है"

"घर से रंगत मुग़ल हो रही है".............यहाँ  शब्द  "मुग़ल" मंगोलियन या अफगानी, के लिए कहा है. यदि सही शब्द "मुग़्ल" है तो फिर यह शेर ही हटा देता हूँ.

 पुनः आपकी इस्लाह का इंतज़ार है. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 29, 2016 at 1:13pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई जी सादर , प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन के लिए दिल से आभार. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 29, 2016 at 12:22pm

बहुत  सुन्दर  वाह्ह  वाह  आद० अशोक रक्ताले जी बढ़िया ग़ज़ल  लिखी है

आद०  समर भाई जी के मशविरे भी स्वागत योग्य हैं तितलियाँ  भर रहीं हैं उड़ानें--

तितलियाँ छू  रही  आसमां को -----कर  सकते हैं 

आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by Samar kabeer on July 29, 2016 at 12:09pm
जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,आजकल तो आप कमाल पर कमाल कर रहे हैं, बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं, नाचीज़ के कुछ सुझाव हैं, अगर किसी क़ाबिल हों :-

1) "तितलियाँ भर रही हैं उड़ानें"

उड़ानें भरना ऊँचाई पर उड़ने के लिये इस्तेमाल होता है,इस मिसरे को एक बार और देखियेगा ।

2) "रौशनी हरिक पल हो रही है"

:- इस मिसरे में लय बाधित हो रही है, इसे कुछ और समय दीजिये।

3) "घर से रंगत मुग़ल हो रही है"

:- इस मिसरे में "मुग़ल" का अर्थ आपने क्या लिया है ? मुझे यह अर्थ हीन लग रहा है,सही शब्द है "मुग़्ल",देख लीजियेगा ।
बाक़ी अशआर ठीक हैं,उनके लिये पुनः बधाई आपको ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 29, 2016 at 11:31am

आ0 भाई अशोक जी इस सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service