For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भ्रम भुला दो तुम ज़रा...ग़ज़ल// डॉ. प्राची

2122,2122,2122,212

ताज है या एक सूली ये बता दो तुम ज़रा।
इश्क के हर राज़ से पर्दा उठा दो तुम ज़रा।

होश में हूँ अब तलक इस बात पर हैराँ हो क्यों?
इश्क है गर नीँद तो मुझको सुला दो तुम ज़रा।

फूल की हर सेज पर तो चल चुके अब तक बहुत,
है चुभन गर इश्क तो, काँटे बिछा दो तुम ज़रा।

मेरी हस्ती आज भी मुझमें बची ज़िंदा कहीं,
इश्क है मिटना अगर, मुझको मिटा दो तुम ज़रा।

मेरी इन वीरानियों में चित्र कोई बन सके,
ख्वाब कुछ रंगीन पलकों पर सजा दो तुम ज़रा।

एक में जुड़ एक ग्यारह सा हमारा साथ हो,
ज़िन्दगी ग्यारह गुना सीधे बड़ा दो तुम ज़रा।

दो अधूरे मिल के क्या पूरी करेंगे दास्ताँ?
बिन तुम्हारे मैं अधूरी!!! भ्रम भुला दो तुम ज़रा।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 541

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2016 at 2:36pm

आदरणीया प्राची जी ..दिल को छू लेने वाले खयालो और खूबसूरत अहसासों से भरी इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 29, 2016 at 10:23pm

अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीया प्राची जी, दाद कुबूल कीजिए

Comment by Sushil Sarna on March 29, 2016 at 7:49pm

फूल की हर सेज पर तो चल चुके अब तक बहुत,
है चुभन गर इश्क तो, काँटे बिछा दो तुम ज़रा।

वाह वाह .... बड़े ही खूबसूरत अहसासातों से आपने इस ग़ज़ल को सजाया है। इस दिलकश प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी।

Comment by narendrasinh chauhan on March 29, 2016 at 2:32pm

फूल की हर सेज पर तो चल चुके अब तक बहुत,
है चुभन गर इश्क तो, काँटे बिछा दो तुम ज़रा  ,,,लाजवाब 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 29, 2016 at 12:30pm

एक में जुड़ एक ग्यारह सा हमारा साथ हो,
ज़िन्दगी ग्यारह गुना सीधे बड़ा दो तुम ज़रा। - बहुत  खूब  | लाजवाब युग्म  | हार्दिक  बधाई 

Comment by kanta roy on March 28, 2016 at 1:35pm

फूल की हर सेज पर तो चल चुके अब तक बहुत,
है चुभन गर इश्क तो, काँटे बिछा दो तुम ज़रा।.....वाह ! प्रेम की  पराकाष्ठा  को  चित्रित  करती  हुई  अति  संवेदनशील हर अशआर  हुए  है .भावों  की  गहराई  में  डूबकर इसको   पढ़ना  बेहद सकूँ  सा  लगा . बहुत -बहुत  बधाई  आपको  इस  सृजन  के  लिए  आदरणीया  प्राची  जी  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service