For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होली मनाना आपका.....ग़ज़ल // डॉ. प्राची

है अदा या फिर सितम होली मनाना आपका।
रात के बारह बजे जी भर सताना आपका।

रंग ले आना छिपाकर नित नई तरकीब से
हाय! चालों में उलझ हल्ला मचाना आपका।

टैग तय कर टोलियों में, बालटी के ड्रम लिए
क्या गज़ब अंदाज़ है, टोली में जाना आपका।

जीन्स टी-शर्टों की कतरन काट करना चीथड़े
बन लफंडर साथ फिर ऊधम मचाना आपका।

हम भला कोरे रहें ये आपको मंज़ूर कब
पर कहो अच्छा है क्या हमको भिगाना आपका?

बन के बन्दर लौटकर दर्पण में खुद को देखकर
साल के बस एक दिन उबटन लगाना आपका।

आप ही से है जँवा होली की ये महफ़िल हुज़ूर
हाय! कैसे हम सँभालें भाव खाना आपका।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 523

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 28, 2016 at 1:13pm
आ प्राची दीदी कमाल का भाव संकलन और गजल बिधा में पिरोने से और भी रंगीन हो गए सादर बधाई नमन

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 28, 2016 at 1:01pm

:-)))

बढ़िया होली हुई आदरणीया .. 

वाह बधाई हो..

कायदा है या सितम होली मनाना आपका .. 

Comment by रामबली गुप्ता on March 27, 2016 at 1:25pm
वाह वाह आदरेया बहुत ही उम्दा ग़ज़ल
Comment by Shyam Narain Verma on March 25, 2016 at 4:21pm
आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2016 at 7:36pm
वाह आदरणीया डॉ प्राची जी अच्छी ग़ज़ल हुई है सादर बधाई आपको
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 24, 2016 at 9:45am
होली के इस रंग को हम भी समझ पाए सही
क्या ख़ूब रहा आज ये हाल सुनाना आपका।

बहुत सुंदर चित्रण ।सादर नमन
Comment by Manan Kumar singh on March 24, 2016 at 8:08am
क्या खूब यह होली का है हाल सुनाना आपका! बधाई!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 23, 2016 at 4:37pm

आ० प्राची जी , आपकी गंभीर रचनाएँ ही अब तक पढी थी . इस गजल में आपके व्यक्तित्व का एक और ही स्वरूप प्रत्यक्ष  हुआ है . यह रूप  अधिक सहज और स्वाभाविक है . इस रचना की लिए साधुवाद . एक पंक्ति संभवतः इस प्रकार होनी चाहिये  थी -' पर कहो अच्छा है क्या हमको भिगाना आपका? सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
10 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service