For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हार कर भी जीत जाने का भला क्या अर्थ है? ....ग़ज़ल// डॉ. प्राची

राज़ हर दिल में छुपाने का भला क्या अर्थ है ?
गैर पर हासिल लुटाने का भला क्या अर्थ है ?

हो बहुत विद्वान तुम, पर ये न समझोगे कभी
हार कर भी जीत जाने का भला क्या अर्थ है ?

प्यार में तकरार होना कर लिया मंज़ूर, पर
अजनबी सा पेश आने का भला क्या अर्थ है ?

देह मन का साथ छोड़े, स्वर जुदा हों सत्य से,
इस तरह रिश्ते निभाने का भला क्या अर्थ है ?

सच कहो जब खिलखिलाए एक अरसा हो गया,
जश्न खुशियों का मनाने का भला क्या अर्थ है ?

जम चुके गम के समंदर को ज़रा रिसने भी दो,
सूखता मरुधर बनाने का भला क्या अर्थ है ?

स्वाति तुम ना बन सकोगे और ना ही मैं चकोर,
फिर कहो मल्हार गाने का भला क्या अर्थ है ?

मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है ?

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:20pm

//मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है ?//

एक बहुत ही दिलकश गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Madan Mohan saxena on April 1, 2016 at 3:34pm

मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है
अच्छी ग़ज़ल कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।

Comment by Samar kabeer on April 1, 2016 at 3:17pm
मोहतरमा डॉ.प्राची साहिबा आदाब,ग़ज़ल का अभ्यास अच्छा हो रहा है, ये ग़ज़ल भी अच्छी कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by Sushil Sarna on April 1, 2016 at 1:57pm

देह मन का साथ छोड़े, स्वर जुदा हों सत्य से,
इस तरह रिश्ते निभाने का भला क्या अर्थ है ?

बहुत ही गहरा अर्थ लिए इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 1, 2016 at 10:25am

आदरणीया प्राची जी ,,बिलकुल नए अनदाज में लिखी हुई इस ग़ज़ल के हर शेर के लिए तहे दिल दाद स्वीकार करें सादर बधाई के साथ 

Comment by narendrasinh chauhan on March 30, 2016 at 4:22pm

मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है ? बहोत सुन्दर 

खूब सुन्दर रचना 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service