For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुएं में लोकतन्त्र

एक कुआं था
बहुत बड़ा कुआं
शीतल जल से पूर्ण
वहाँ रहते थे अनेकों मेढक
कुएं के मालिक ने कुएं में
डाल दिये कुछेक साँप
एवं फूंका मंत्र
जिससे उस कुएं में कायम हो गया लोकतन्त्र
एक मोटा मेढक बना उसका प्रधान
उसने कराया कुएं में सर्वे
और पाया कि साँपों की संख्या वहाँ है कम
मोटा मेढक और उसके चमचे हुए बहुत हैरान
उन्होने बनाया एक नियम
जिससे हो सके साँपो का उत्थान
सभी साँपो को मिले एक मेढक खाने को रोज
ऐसा हुआ प्रावधान
कहा गया बहुत जरूरी है
साँप का विकास
तभी तो बना रहेगा प्रगतिशील होने का
एहसास
धीरे धीरे साँप खा गए सारे मेढक
और अंत में उस मोटे मेढक को भी.....
अब उस कुएं में बचे हैं सिर्फ साँप
अनेक साँप
वे खा रहे हैं एक दूसरे को
कुएं का मालिक माँज रहा है
अपनी बाल्टी
वह मुस्कुरा रहा है
बैठकर कुएं की मुंडेर पर
साँपो की लड़ाई जारी है ....
........ नीरज कुमार नीर ....

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on January 23, 2016 at 8:37pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी कथ्य के प्रति अपना समर्थन देने एवं इसे स्वीकार करने  हेतू सादर आभार .... सराहना करके उत्साह वर्धन हेतू सादर नमन ... 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 23, 2016 at 7:13pm

आदरणीय नीर जी आपकी उर्वर कल्पना को प्रणाम . 

Comment by Neeraj Neer on January 22, 2016 at 8:24pm

आदरणीय सत्विन्दर जी बहुत आभार इस उत्साहवर्द्धन के लिए 

Comment by Neeraj Neer on January 22, 2016 at 8:23pm

आपका आभार श्री शेख शहजाद उस्मानी साहब 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 22, 2016 at 5:33pm
वाह्ह्ह्ह्!समसामयिक रचना।ज़बरदस्त सन्देश।हार्दिक बधाई आदरणीय।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 22, 2016 at 3:14pm
प्रतीकों के माध्यम से देशवासियों को दर्पण दिखाने में समर्थ बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय नीरज कुमार नीर जी।
Comment by Neeraj Neer on January 22, 2016 at 3:06pm

आभार आपका आदरणीय गिरिराज भण्डारी साहब 

Comment by Neeraj Neer on January 22, 2016 at 3:01pm

आभार आदरणीय समर कबीर साहब इस उत्साहवर्धन के लिए ............... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 21, 2016 at 9:53pm

क्या बात है , नीरज भाई , आज कीस देश की स्थिति पर खूब रचना हुई है , दिल से बधाइयाँ आपको ।

Comment by Samar kabeer on January 21, 2016 at 3:06pm
जनाब नीरज कुमार नीर जी आदाब,इस प्रस्तुति के लिये बधाई आपको |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service