For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"आज की रात वह बहुत ख़ुश था,कारण कि सुबह उसे नोकरी मिलने वाली थी,दो साल तक ठोकरें खाने के बाद एक दिन उसने समाचार पत्र में 'माइकल इंटरप्राइसेस' का विज्ञापन देखा,अर्ज़ी दी,इंटरव्यू कॉल आया और उसे इंटरव्यू में सिलेक्ट कर लिया गया,फ़र्म के मालिक मिस्टर माइकल उसकी क़ाबिलियत से बहुत मुतास्सिर हुए,उन्होंने कहा कल अपॉइंटमेंट लैटर मिल जाएगा ।
वह एक छोटे से शह्र का रहने वाला था और उसे बड़े शह्र में नोकरी की तलाश थी,गुज़र बसर के लिये बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था,किराए का एक कमरा उसे रहने के लिये मिल गया था ।
वह बिस्तर पर लेटकर भविष्य के सपने जागती आँखों से देखने लगा,उसके सीने में जज़्बात का तूफ़ान मौजें मार रहा था,वह सोच रहा था,कल सुबह मुझे नोकरी मिल जाएगी,अब दर दर भटकना नहीं पड़ेगा ,कुछ दिन बाद अपने परिवार को भी यहीं बुला लूँगा ,अब माँ का इलाज भी हो जाएगा,अब मेरी बहन की शादी में कोई रूकावट नहीं आएगी,यही सब सोचते सोचते कब उसकी नींद लग गई पता ही नहीं चला,सपने में भी शायद वो यही सब देख रहा था,उसके होठों पर मुस्कान थी ।
सुबह सूर्य की पहली किरन के साथ वह बिस्तर से उठ गया,ज़रूरी कामों से फ़ारिग़ होकर वह मोहल्ले के एक होटल की तरफ़ चल दिया,वह रोज़ाना इसी होटल में सुबह का नाश्ता करता था ,नाश्ते का आर्डर देने के बाद उसने क़रीब की टेबल पर रखा ताज़ा समाचार पत्र उठा लिया,मुख्य पृष्ठ पर नज़र डालते ही उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई,उसके दिमाग़ को झटका लगा,जैसे उस पर ज्वालामुखी फट पड़ा हो,वह बेहोश हो कर गिर गया,समाचार पत्र के मुख्य पृष्ठ पर जली हर्फ़ों में लिखा था :-

"कल रात माइकल इंटरप्राइसेस की बिल्डिंग में आग लग गई,जिसकी वजह से काफ़ी नुक़सान हुवा,इस घटना में फ़र्म के मालिक मिस्टर माइकल भी हलाक हो गए जो उसी बिल्डिंग में रहते थे" ।

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on January 5, 2016 at 2:15pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब , रचना की प्रशंसा , सकारात्मक प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा।
Comment by Samar kabeer on January 5, 2016 at 2:14pm
जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब , रचना की प्रशंसा , सकारात्मक प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा।
Comment by Samar kabeer on January 5, 2016 at 2:13pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब , रचना की प्रशंसा , सकारात्मक प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा।
Comment by Samar kabeer on January 5, 2016 at 2:12pm
मोहतरमा प्रतिभा पांडे जी आदाब , रचना की प्रशंसा , सकारात्मक प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा।
Comment by Samar kabeer on January 5, 2016 at 2:11pm
मोहतरमा कांता रॉय जी आदाब , रचना की प्रशंसा , सकारात्मक प्रतिक्रिया और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। ऐसे ही स्नेह बनाए रखियेगा।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 4, 2016 at 6:41pm

हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी!आपने एक बेहतरीन लघुकथा के माध्यम से इंसान की मेहनत को उसके भाग्य के मुक़ाबले खडा कर दिया!सुन्दर रचना!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 3, 2016 at 12:32am
आपका लघुकथा लेखन हम सभी के लिए बहुत ही हर्ष और गर्व का विषय है । बहुत ही प्रवाह पूर्ण शैली में शाब्दिक यह उम्दा रचना कसावट तथा कालखंड के मोर्चे पर किस मुकाम पर है, यह तो सम्मान्य गुरूजन व वरिष्ठ जन हमें समझायेंगे। इस सुंदर अनुपम कृति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय समर कबीर साहब ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 2, 2016 at 8:52pm

इंसान क्या क्या सपने देखता है कर्म के साथ साथ किस्मत का भी होना बहुत जरूरी है ..बहुत अच्छी लघु कथा लिखी है आ० समर भाई जी ,अब हमे आपकी कलम  और अच्छी अच्छी कहानियों से रूबरू करायेगी तहे दिल से बधाई लीजिये 

Comment by pratibha pande on January 2, 2016 at 6:26pm

अच्छे विषय का चयन किया और उसे खूबसूरती से लघु कथा में ढाला  है आपने , बधाई स्वीकार करें इस रचना पर आदरणीय समर कबीर जी , सादर 

Comment by kanta roy on January 2, 2016 at 3:14pm
वाह !!!! सधे हुए अंदाज़ में गजब की लघुकथा पेश की है आपने आदरणीय समर कबीर जी ।
एक क्षण विशेष को आपने अपनी लेखनी से ,कथ्य को विविध आयाम देते हुए सार्थक दृश्यांकन के साथ अति विशिष्ट लघुकथा की प्रस्तुति दी है और संदेश भी खूब दिया है कि स्वप्न का मोल .....! क़िस्मत के आगे इंसान की बिलकुल नहीं चलती है ।
बेरोजगारी की हताशा और टुटते बिखरते आशाओं के महलों की इस लघुकथा के लिए बधाई कबूल फरमाईयेगा । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
34 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
38 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
48 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
7 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
15 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service