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किसी की झील सी आँखों में फिर से खो के देखूँ

मुहब्बत की डगर में फिर किसी का हो के देखूँ

किसी की झील सी आँखों में फिर से खो के देखूँ

 

अब इन आँखों से उसके प्यार का चश्मा उतारूँ

जहां में हैं बहुत से रंग आँखें धो के देखूँ

 

जिसे मैं प्यार करता था वो मेरा हो न पाया

जो मुझसे प्यार करता है मैं उसका हो के देखूँ

 

बहुत दिन हो गए आँखों को कोई ख़्वाब देखे

चलो शानो पे सर रख कर किसी के सो के देखूँ

 

कोई तो बढ़ के 'सूरज' आँसुओ को पोछ लेगा

मुहब्बत में चलो इक बार फिर से रो के देखूँ

 

डॉ सूर्या बाली 'सूरज'

(मौलिक और अप्रकाशित )

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 26, 2015 at 7:00pm

आदरणीय बाली जी ..हर शेर रूमानियत से भरा है ..इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by दिनेश कुमार on December 25, 2015 at 7:10am
आदरणीय डॉ बाली सर सुंदर ग़ज़ल हुई है। हर शेर पर दाद क़बूल करें आदरणीय।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 24, 2015 at 9:36pm
आदरणीय डॉ बाली सर सुंदर ग़ज़ल हुई है
Comment by Sushil Sarna on December 24, 2015 at 8:38pm

कोई तो बढ़ के 'सूरज' आँसुओ को पोछ लेगा
मुहब्बत में चलो इक बार फिर से रो के देखूँ .... वाह वाह और वाह ही निकलती इस दिल से इस ग़ज़ल के लिए .... इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय ..... ४ लाइनें आपके लिए
आप जब लिखते हैं तो गज़ब   लिखते हैं
कागज़ पे मुहब्बत का मज़हब  लिखते हैं
बढ़ता रहे ये नूर  यूँ ही   शे'रों का   आपके
हर्फ़ों में आप जीने का  सबब   लिखते  हैं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 24, 2015 at 12:26pm

आदरनीय सूर्या बाली भाई , हमेशा की तरह आपकी ये गज़ल भी बहुत खूबसूरत हुई है , दिली मुबारकबाद स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 24, 2015 at 11:07am

जिसे मैं प्यार करता था वो मेरा हो न पाया

जो मुझसे प्यार करता है मैं उसका हो के देखूँ

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है आ० सूर्य भाई हार्दिक बधाई l


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 23, 2015 at 8:51pm

वाह वाह बहुत दिनों बाद आपकी खूबसूरत ग़ज़ल आई है शेर दर शेर दिल से दाद कुबूलें आ० सूर्या बाली जी 

Comment by Ravi Shukla on December 23, 2015 at 1:20pm

आदरणीय डॉ सूर्या बाली जी बहुत ही प्रवाह पूर्ण और शानदार कथ्‍य से परिपूर्ण ग़जल के लिये शेर दर शेर बधाई कुबूल करें

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