For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तो कुछ देखूँ- ग़ज़ल (पंकज)

1222 1222 1222 1222

तुझे मैं चित्त से अपने मिटा पाऊँ तो कुछ देखूँ।
तेरे अवधान को मन से घटा पाऊँ तो कुछ देखूँ।।

हे प्रियतम रूप रस तेरा मनस पर इस कदर हावी।
ये दृग रस पान से तेरे हटा पाऊँ तो कुछ देखूँ।।

ये पर्वत पेड़ ये नदिया, ये शीतल सी हवाएँ भी।
अलग तुमसे हैं ये खुद को बता पाऊँ तो कुछ देखूँ।।

कि मन्दिर चर्च मस्ज़िद और गुरुद्वारे बहुत हैं पर।
तेरे छवि धाम से मन को बुला पाऊँ तो कुछ देखूँ।।

ये पंकज खिल भी सकता है हाँ जी दुनियावी पोखर में।
मगर अन्तस् सरोवर में खिला पाऊँ तो कुछ देखूँ।।


मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on December 24, 2015 at 12:21pm
आदरणीय गिरिराज सर सादर प्रणाम और सुझावों के लिए आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 24, 2015 at 11:28am

आदरणीय पंकज भाई , लाजवाब ग़ज़ल कही है , दिली बधाइयाँ  स्वीकार करें । पर एक भारी भूल हो गई है --
तुझे मैं चित्त से अपने मिटा पाऊँ तो कुछ देखूँ।
तेरे अवधान को मन से घटा पाऊँ तो कुछ देखूँ।।     -- इस मतले के अनुसार आपका काफिया  - दोष पूर्ण है
1-  मिटा और घटा मे  टा के पहले का स्वर भी  मिलना चाहिये था  ,  जैसे  मिटा और पिटा या घटा और कटा
2-  दूसरी बात अगर ये स्वर मे ल कर भी लें तो  , आपका काफिया या तो -- इटा या अटा तय होगा । और इस काफिये के अनुसार आपके ये तीन शे र     दोष पूऋन हो जायें गे -
ये पर्वत पेड़ ये नदिया, ये शीतल सी हवाएँ भी।
अलग तुमसे हैं ये खुद को बता पाऊँ तो कुछ देखूँ।।   ---   आ काफिया

कि मन्दिर चर्च मस्ज़िद और गुरुद्वारे बहुत हैं पर।
तेरे छवि धाम से मन को बुला पाऊँ तो कुछ देखूँ।।   -- आ काफिया

ये पंकज खिल भी सकता है हाँ जी दुनियावी पोखर में।
मगर अन्तस् सरोवर में खिला पाऊँ तो कुछ देखूँ।। ---   आ काफिया

अतः  आपको मतले पर पुनः विचार करना चाहिये  और मतले को भी  आ काफिया पर  कहने का प्रयास कर लेना चाहिये ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on December 24, 2015 at 9:22am
आदरणीय मिथिलेश सर सादर प्रणाम और हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 24, 2015 at 5:06am

आदरणीय पंकज जी शानदार ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on December 23, 2015 at 3:25pm
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर प्रणाम।
सुझाव के अनुरूप संशोधन किया जाएगा।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on December 23, 2015 at 12:50pm
आदरणीय लक्ष्मण सर सादर अभिवादन स्वीकारें
Comment by Ravi Shukla on December 23, 2015 at 12:32pm

आदरणीय पंकज जी सुन्‍दर ग़ज़ल के लिये बधाई कुबूल करें  आखिरी शेर के उला को अगर ऐसे करे तो शायद प्रवाह कुछ निखर सकता है   ये पंकज खिल भी सकता है इसी दुनियावी पोखर में ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 23, 2015 at 11:20am

बहुत खूब ...पंकज भाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
1 hour ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
1 hour ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service