For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साये....

रहने दो
तुम सायों की खामोशी क्या जानो
तुम सिर्फ खोखले अहसासों के
सूखे शज़र हो
साये का दर्द तो सिर्फ
ज़मीन सहती है
हर जिस्मानी खरोंच को
खामोशी से पी जाती है
उफ़ नहीं करती
रेज़ा रेज़ा बिखरती
तारीक में सिमट जाती है
जब कोई तन्हा शब
किसी परिंदे की तरह
पेड़ पर फड़फड़ाती है
बेतरतीब से सलवटों में
तब वफा भी कराहती है
गुजरे लम्हों के साये
तमाम उम्र
जीने की सजा दे जाते हैं
ज़िस्म की कश्कोल में
हर सांस
इक गदाई सी लगती है
हया की झीनी सी चादर पर
उसकी छुअन
एक बेहयाई से लगती है
साया खामोश रहता है
मगर हर लम्स में इक
साये की स्याही लगती है

कश्कोल=भिक्षा-पात्र ,गदाई = फ़क़ीरी 

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 555

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 16, 2015 at 6:17pm

आदरणीय   vijay nikore    जी प्रस्तुति को आत्मीय सम्मान देने के लिए आपका ह्रदयतल से आभारी हूँ। 

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 3:17pm

बहुत ही आनन्द आया आपकी रचना पढ़ कर।

हार्दिक बधाई,  आदरणीय सुशील जी।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2015 at 6:28pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना में निहित अहसासों को  आपने इतना मान दिया इसके लिए मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 5, 2015 at 10:13am

बहुत शानदार रचना आ० सुशील सरना जी ,दिल से बधाई लीजिये 

Comment by Sushil Sarna on December 4, 2015 at 12:41pm

आदरणीया   pratibha pande      जी प्रस्तुति में निहित भावों सम्मान देने के लिए आपका ह्रदयतल से आभारी हूँ। 

Comment by pratibha pande on December 4, 2015 at 12:30pm

गुजरे लम्हों के साये 
तमाम उम्र 
जीने की सजा दे जाते हैं 
ज़िस्म की कश्कोल

हर सांस 
इक गदाई सी लगती है ......आपकी रचनाओं  की गहराइयों में उतरते  हुए  हमेशा नए एहसासों  से मिलते हैं   हार्दिक बधाई आपको इस रचना कर्म के लिए आदरणीय सुशील जी 

Comment by Sushil Sarna on December 3, 2015 at 12:21pm

आदरणीय  TEJ VEER SINGH    जी रचना पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।  

Comment by Sushil Sarna on December 3, 2015 at 12:20pm

आदरणीया  jyotsna Kapil      जी प्रस्तुति में निहित भावों सम्मान देने के लिए आपका ह्रदयतल से आभारी हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on December 3, 2015 at 12:19pm

आदरणीय  Samar kabeer   जी प्रस्तुति को आत्मीय सम्मान देने के लिए आपका ह्रदयतल से आभारी हूँ। 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 3, 2015 at 10:57am

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरनाजी!बेहतरीन प्रस्तुति!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service