For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नीरवताएँ

दुखपूर्ण भावों से भीतर छिन्न-भिन्न

साँस-साँस में लिए कोई दर्दीली उलझन

मेरे प्राण-रत्न, प्रेरणा के स्रोत

तुम कुछ कहो न कहो पर जानती हूँ मैं

किसी रहस्यमय हादसे से दिल में तुम्हारे

है अखंडित वेदना भीषण

चोट गहरी है

दुख का पहाड़ है

दुख में तुम्हारे .. तुम्हारे लिए

दुख मुझको भी है

रंज है मुझको कि संवेदन-प्रेरित भी

मैं कुछ कर नहीं पाती

खुले रिसते घाव को तुम्हारे 

सी नहीं पाती ...

यह मेरी बदनसीबी है

अग्निमय प्रश्नों की चिनगियों से अनवस्थ

वेदनामयी मुस्कान लिए ओंठों के कोरों पर

जब तुमने कहा कल कि मन-ही-मन

मनहूस पीड़ा से कहीं दूर चले जाना चाहते हो

पर बहती पीड़ा की गति जो परसों थी

कल थी और आज भी

गतिशील अनवरत कहीं भी वह

ज्वाला की फूंक बनी तुम्हारे साथ जाएगी

तड़पाएगी

पीड़ा की धारा को केवल वही सोख सकता है

जिससे अमुक अनवलंबित पीड़ा मिली हो

नए सुख आएँगे

पर परतों के नीचे के इतिहास से

लोट-लोट आएँगी रात-बेरात अचानक पुरानी

नीरव आवाज़ें

उफ़नती पुरानी अपरिमित पीड़ा की

चिलचिलाती-चिलकती झकझोरती यादों की

अकुलाएगा बेकाबू मन रातों अंधेरे की थाहों में

-----

 -- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on July 27, 2015 at 12:27am

//बेहतरीन . अकल्पनीय भाव , भूरि भूरि बधाई//

आपसे ऐसी सराहना मिलना अति आश्वासी है। हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

Comment by vijay nikore on July 16, 2015 at 10:06pm

//बहुत असीम परतो में दबी अकुलाहट को शब्द दे नीरव शांत जल के निचे की भंवर को उभार दिया है आपने //

आपकी भावाभिव्यक्ति मेरी प्रेरणा का स्रोत है l उत्साहवर्धन हेतु बहुत धन्यवाद, आदरणीय सुनील प्रसाद जी।

Comment by vijay nikore on July 16, 2015 at 6:20pm

आदरणीय मोहन सेठी जी, रचना की सराहना के लिए मैं आभारी हूँ। हार्दिक धन्यवाद।

Comment by vijay nikore on July 16, 2015 at 2:24pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय श्री सुनील जी।

Comment by pratibha pande on July 16, 2015 at 9:38am

 वक़्त  पीडाओं  को  कम नहीं करता  बस उनके ऊपर  एक हलकी सी पर्त चढ़ा देता है i समय  के और दुनियादारी  निभाने की  मजबूरियों के साथ  ये पर्त मोटी  होती  जाती है  पर  कभी  ऐसा  होता  है  कि उस पूरी  पर्त  के चिंदे उड़ जाते हैं और  नीचे  का जख्म  फिर उभर आता है  time is not a healer ,  but  is only   a concealer ,    मार्मिक  रचना  के  लिए  बधाई  आ० विजय  जी  

Comment by vijay nikore on July 16, 2015 at 9:22am

 //पढते हुए दूर कहीं ले जाता है अवचेतन मन को .....//

रचना के मर्म के साथ आत्मसात होने के लिए आभार, आदरणीया कान्ता जी।

Comment by jyotsna Kapil on July 16, 2015 at 9:21am
आ.विजय निकोर सर बहुत ही भावपूर्ण व संवेदनशील रचना है, इस सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 1:25am

आदरणीय विजय निकोर सर, जीवन की परतों में दबी, व्यथा की मार्मिक अभिव्यक्ति, ह्रदय को छूकर संवेदना को जागृत करने में सफल हुई इस सशक्त रचना की प्रस्तुति पर बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 15, 2015 at 3:48pm

आदरणीय विजय निकोर जी 

मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...

//पीड़ा की धारा को केवल वही सोख सकता है

जिससे अमुक अनवलंबित पीड़ा मिली हो

नए सुख आएँगे

पर परतों के नीचे के इतिहास से

लोट-लोट आएँगी रात-बेरात अचानक पुरानी

नीरव आवाज़ें//

आपकी अभिव्यक्तियों के निहितार्थ संवेदनशील पाठक ह्रदय को गहन स्पर्श करते हैं.

सादर बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 8, 2015 at 9:08pm

आ० निकोर जी

आपके उस प्रेरणा स्रोत को नमन . कविता की  यह पंक्तियाँ -

नए सुख आएँगे

पर परतों के नीचे के इतिहास से

लोट-लोट आएँगी रात-बेरात अचानक पुरानी

नीरव आवाज़ें

उफ़नती पुरानी अपरिमित पीड़ा की

चिलचिलाती-चिलकती झकझोरती यादों की

अकुलाएगा बेकाबू मन रातों अंधेरे की थाहों में---------------- बेहतरीन . अकल्पनीय भाव , भूरि भूरि बधाई . सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना…"
5 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं…"
6 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"घटनाक्रम तनिक खिंचा हुआ प्रतीत तो हो रहा है, लेकिन संवादों का प्रवाह रुचिकर है, आदरणीय शेख शहज़ाद…"
11 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"मनोविज्ञान नातिन वाला बाल मनोविज्ञान और नानी व ऐसे पीड़ितों का मनोविज्ञान और मनोदशा में। रचना में…"
13 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"रचना पर प्रतिक्रिया और राय हेतु शुक्रिया आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। मेरी समझ अनुसार जो अपने…"
23 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय निलेश जी सादर, प्रस्तुत छंद पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार. होतीं 'हैं'…"
26 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार.…"
31 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, मेरा तो अनुभव रहा है, यदि कोई आपको रचना के पुनरावलोकन की सलाह दे…"
32 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"   आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत छंद पर आपकी सराहना पाकर रचनाकर्म सार्थक हुआ. आपका…"
41 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"कार्यालयों में अपना काम करवाने की एवज में इस तरह का शोषण एक दुखद स्तिथि है। बधाई आदरणीया एक अच्छी…"
1 hour ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"बहुत-बहुत धन्यवाद उस्मानी जी  -सहमत हूँ आपकी बातों से : सुधार करने का पूरा प्रयास रहेगा."
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीय उस्मानी जी युवा द्वारा आतंकी को काफिर कहे जाने से क्या आशय है जबकी काफिर शब्द किसके लिये…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service