For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शाकाहार की राजनीति (लघुकथा)

हाथी के नेतृत्व में सभी जानवरों ने शाकाहार संघ बनाया। सबसे पहले लोमड़ी ने शाकाहार की कसम खायी और फिर उसने मांसाहारियों के सामने एक प्रदर्शन करने का सुझाव दिया, जिसे तुरंत ही मान लिया गया। लोमड़ी ने दस-दस जानवरों का समूह बना कर उन्हें एक क्रम में खड़ा किया। सबसे पहले दस हाथी, फिर भालू, बन्दर, बारहसिंघा, हिरण फिर खरगोशों का समूह और सबसे अंत में वो स्वयं थी। बड़े-बड़े पोस्टर लेकर जुलुस ने शाकाहार के पक्ष में नारे लगाते हुए जंगल के राजा शेर की मांद के अंदर तक पूरा चक्कर लगाया जैसे ही लोमड़ी और शेर की नजरे आपस में टकराई तो दोनों के चेहरों पर कुटिल मुस्कान थी।

सारा जुलुस जोश-खरोश से पुनः अपने गंतव्य पर पहुँचा। वहां देखा कि दस खरगोश और दो हिरण कम हैं।

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 737

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 22, 2015 at 12:34pm

आदरणीय  हरी प्रकाश जी  दुबे  सर, आदरणीय  कृष्ण मिश्रा जी  सर,  आदर  डॉ. विजय शंकर  जी  सर आप सभी का  हृदय से आभार, इस हौसला  अफजाई  का !!

Comment by Hari Prakash Dubey on April 5, 2015 at 7:29pm

सुन्दर  लघुकथा  आदरणीय चन्द्रेश जी , हार्दिक बधाई !

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 5, 2015 at 4:48pm

सुन्दर कथा पर आपको बधाई!

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 5, 2015 at 3:05am
जंगल पहुँच गयी शरीफों की राजनीति , बधाई , अच्छी लघु कथा , आदरणीय चंद्रेश कुमार जी , सादर।
Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 4, 2015 at 7:18pm

भाई जितेन्द्र जी, हार्दिक  आभार  आपका !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 4, 2015 at 9:39am

बहुत सुंदर लघुकथा साझा की आपने, आदरणीय चंद्रेश जी. हार्दिक बधाई

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 4, 2015 at 12:45am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सर, आपको अच्छी लगी यही रचना की सफलता है...हार्दिक आभार आपका !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 3, 2015 at 9:05pm

आदरणीय चन्द्रेश जी सुन्दर और सफल लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई. 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 3, 2015 at 5:56pm

रचना को पसंद करने के लिये हृदय से आभार आ० डॉ. गोपाल नारायण जी सर, आ० लक्ष्मण रामानुज जी सर, आ० श्याम नारायण जी वर्मा सर|

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 3, 2015 at 12:26pm

आ० चंद्रेश जी

बहुत सुन्दर कथा . वाह .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service