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तेरी बेव़फाई मेरी बेव़फाई

तेरी बेव़फाई मेरी बेव़फाई
कहानी समझ में अभी तक न आई
..........
मेरे इश्क़ में तू उधर ज़ल रहा है 
इधर मैंने ज़ल कर मुहब्बत निभाई
..........
बहाने बनाकर ज़ुदा हो गये हम
यूँ दोनों ने मिलके ही दुनिया हँसाई
..........
तुझे मैंने मारा क़भी खंजरों से 
क़भी सेज काँटों की तूने बिछाई
..........
जलाये जो तूने मेरे प्यार के ख़त
तो तस्वीर तेरी भी मैंने ज़लाई

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित



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Comment by gumnaam pithoragarhi on February 8, 2015 at 7:28pm

बहुत ख़ूब .... वाह क्या कहन है |बधाई स्वीकार करें |

Comment by Hari Prakash Dubey on February 8, 2015 at 6:51pm

आदरणीय उमेश कटारा जी, सुन्दर रचना ..

जलाये जो तूने मेरे प्यार के ख़त
तो तस्वीर तेरी भी मैंने ज़लाई.......वाह बड़ी खूबसूरत लड़ाई , शानदार , हार्दिक बधाई !

Comment by umesh katara on February 8, 2015 at 6:31pm

आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार arun kumar nigam जी

Comment by umesh katara on February 8, 2015 at 6:31pm

आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार जितेन्द्र पस्टारिया जी

Comment by umesh katara on February 8, 2015 at 6:30pm

आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार Dr. Vijai Shanker जी

Comment by umesh katara on February 8, 2015 at 6:30pm

आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार मिथिलेश वामनकर जी

Comment by umesh katara on February 8, 2015 at 6:29pm

आपकी बेहतरीन प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार khursheed khairadi जी

Comment by khursheed khairadi on February 8, 2015 at 5:56pm

बहाने बनाकर ज़ुदा हो गये हम
यूँ दोनों ने मिलके ही दुनिया हँसाई
आदरणीय उमेश जी बहुत ख़ूब .... वाह क्या कहन है |बधाई स्वीकार करें |सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 8, 2015 at 5:42pm
गज़ब है कमाल है । सीधी साफगोई । बेहतरीन ग़ज़ल
आदरणीय उमेश जी बधाई।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 8, 2015 at 12:20pm
तेरी बेव़फाई मेरी बेव़फाई
इतनी साफगोई समझ में न आई
बेवफाई का इतनासादगी भरा चित्रण , बधाई , आदरणीय उमेश कटारा जी,सादर।

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