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एक व्यथा

रातों के बेच कर ,दिन की रोशनी मैं इज्जत से जिन मज़बूरी हैं मेरी

आत्मा को बेच कर ,चहरे पर ये रौशनी झूठी है मेरी

जिनके आगे रातें लूटी हैं लुटाया है मैंने ,

उन्हें दिन में इज्जत देने वालों की पहली कतार में पाया हैं मैने

रातों ......

वैसे कहने को तो सभ कुछ पाया है मैने ,

पर हकीकत ये है ,सब कुछ लुटाया  हैं मैंने

मेरे आंशुओं की नीलामी लगाई हैं उन्होंने

मेरे मजबूरियों की पूरी कीमत पाई है उन्होंने

रातों....

मुझे चीर कर मेरे लहू से क्यारी सजाई है उन्होंने

मुझे सजाकर अपने आराम की चीज बनाई है उन्होंने

इन्हें बेनकाब कर दूँ ,कई बार सोचा है मैंने

लेकिन हर दरवाजे ,इन्हें ही चौकीदार पाया है मैंने

रातों ......

खुदकशी ही कर लूँ कई बार सोचा है मैने ,

लेकिन अपनी कतार में न जाने कितनो को पाया है मैने

रातों ......

श्याम मठपाल

मौलिक व अप्रकाशित

 

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Comment by Shyam Mathpal on February 1, 2015 at 12:15pm

Respected Bhandari Ji,Pathak Ji and Shakoor ji.

Bahut dhanyabad. Main galatioyn ko sudharne ki koshish karoonga. Margdarshan ke liye sukriya.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 11:59am

आदरणीय मथ पाल भाई , अच्छी रचना हुई है , बधाइयाँ ॥ टंकण त्रुटियाँ मज़ा कम कर रहीं है , सुधार लीजियेगा ॥

Comment by ram shiromani pathak on February 1, 2015 at 10:10am
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय ।।शुभ शुब

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:56am

आदरणीय श्याम मठपाल जी अच्छी रचना है बहुत बहुत बधाई।
कहीं कहीं टंकण त्रुटि है उसे देख लीजियेगा

Comment by somesh kumar on January 30, 2015 at 11:42am

मुझें मतलब से बाज़ार बनाकर रखा |

कभी आँसू खरीदे कभी नाम बेचा |

बड़े फ़नकार थे रहनुमा मेरे 

मैं समझ ना सकी मुझे हर बार बेचा |

Comment by Shyam Mathpal on January 29, 2015 at 12:46pm

आदरणीय जितेन्द्र जी ,

बहुत -2    धन्यवाद्.  आपके विचार मेरे लिये कीमती है. 

Comment by Shyam Mathpal on January 29, 2015 at 12:31pm

आदरणीय बागी जी ,

धन्यवाद, आपकी हौसला अफजाई  के लिए बहुत आभार . 

अच्छी है, बधाई आदरणीय श्याम मठपाल जी, आगे टाइप पर ध्यान देगे. सादर
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 29, 2015 at 9:30am

बहुत सुंदर. शब्द दर शब्द प्रभावी मनोभाव, हार्दिक बधाई आदरणीय श्याम जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 28, 2015 at 10:13pm

सुन्दर और भावयुक्त रचना, इस प्रयास हेतु बधाई स्वीकार करें.

Comment by Shyam Mathpal on January 28, 2015 at 9:33pm

Aadarniya Dr.Vijai shanker Ji bahut dhanyabad. Margdarshan ke liye bahut sukriya.

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