दो हजार पंद्रह मने, योग लिए है आठ,
मानो यह नव वर्ष भी,लेकर आया ठाठ |
नए वर्ष का आगमन, खुशिया मिले हजार,
सबको दे शुभ कामना, दूर करे अँधियार |
रश्मि करे अठखेलियाँ, आता तब नववर्ष
प्राची में सौरभ खिले, सुखद धूप का हर्ष |
अच्छे दिन की आस रख, ह्रदय रहे सद्भाव
दूर करे नव वर्ष में, रिश्तों से अलगाव |
स्वागत हो नव वर्ष का,लेता विदा अतीत,
प्रथम दिवस के भोर से, शुभ हो समय व्यतीत |
समय चक्र गतिशील है, समय जायगा बीत,
गया वक्त मिलता नहीं, यही समय की रीत |
बीती ताहि बिसार कर, नव पल को दे अर्थ
भूले कष्ट अतीत का, हो न आज यूँ व्यर्थ |
विभू हमें देना सदा, अमर प्रेम की गंध,
प्रेम प्रीत दिल में रहे, सद्भावी सम्बन्ध |
धरती माँ की गोद में, आया है नववर्ष,
भाव भरों माँ शारदे, जीवन में उत्कर्ष |
ज्ञानोदय पथ पर बढे, सार्थक करे विमर्श,
सजे भाल माँ भारती, तभी सृजित नववर्ष |
रहे न किसी को तनिक, दिल में कोई कर्ष
सच्चे अर्थों में तभी, शुचित प्रस्फुटित हर्ष |
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
नव वर्ष के दोहे पसंद करने के लिए आभार | नव वर्ष की हार्दिक शुभकानाएं आपको श्री शिजू "शकूर" भाई
आप सभी सहृदयी मित्रों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं श्री (डॉ) विजय शंकर जी, श्री खुर्शीद खैराडी जी और श्री सोमेश कुमार जी -
करे सभी नव वर्ष में, इक दूजे को प्यार,
निभा सके दायित्व सब, खुशिया मिले अपार |
आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं श्री मिथिलेश वामनकर जी, श्री गिरिराज भंडारी जी और श्री हरी प्रकाश डूबे जी,--------
नए वर्ष का आगमन, खुशिया मिले हजार,
सबको दे शुभ कामना, दूर करे अँधियार |
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद सर नववर्ष पर अच्छी दोहावली रची है आपने बहुत बहुत बधाई
स्वागत हो नव वर्ष का,लेता विदा अतीत,
प्रथम दिवस के भोर से, शुभ हो समय व्यतीत |
समय चक्र गतिशील है, समय जायगा बीत,
गया वक्त मिलता नहीं, यही समय की रीत |
बीती ताहि बिसार कर, नव पल को दे अर्थ
भूले कष्ट अतीत का, हो न आज यूँ व्यर्थ |
आदरणीय लक्षमण प्रसाद लडीवाला जी सुन्दर दोहावली है |नववर्ष की आपको तथा इस मंच के सभी साथियों को शुभकामनाओं सहित -सादर अभिनन्दन
suner dohe,nv vrsh ke utkrsh me hrshpurvk hardik bdhai nv vrsh evm rchnavo ke lie
समय चक्र गतिशील है, समय जायगा बीत,
गया वक्त मिलता नहीं, यही समय की रीत |.........आदरणीय लक्ष्मण जी सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई !
आदरणीय लक्ष्मण भाई , नव वर्ष की शुभकामनायें देते आपके दोहे बहुत अच्छे लगे ! हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय लक्ष्मण भाई , शिल्प के अनुसार कुछ दोहों मे मात्रायें कम ज्यादा हैं और कहीं प्रवाह भी बाधित है , एक बार दोहों की मात्रायें फिर गिन लीजियेगा ।
दो हजार पंद्रह का, योग लिए है आठ,
मानो यह नव वर्ष भी,लेकर आया ठाठ |.... वाह सर क्या योग लगाया फिर तुक जमाया आठ के ठाठ ..
बीती ताहि बिसार कर, नव पल को दे अर्थ
भूले कष्ट अतीत का, हो न आज यूँ व्यर्थ |.... सुन्दर दोहा
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला सर आपको इन बेहतरीन दोहों की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई और नव वर्ष की मंगल कामनाएं
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