For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आपकी ये खामुशी चुभती है नश्तर सी हमें

2122  2122   2122   २१२ 

 

आज ये महफ़िल सजाकर आप क्यूँ गुम हो गये

हमको महफ़िल में बुलाकर आप क्यूँ गुम हो गये

 

पोखरों को पार करना भी  न सीखा है अभी

सामने सागर दिखाकर आप क्यूँ गुम हो गये

 

लहरों से डरकर खड़े थे हम किनारों पर यहाँ

हौसला दिल में जगाकर आप क्यूँ गुम हो गये

 

तीरगी के साथ में तूफ़ान भी कितने यहाँ

इक दफा दीपक जलाकर आप क्यूँ गुम हो गये

 

आपकी ये खामुशी चुभती है नश्तर सी हमें

हमको यूं अपना बनाकर आप क्यूँ गुम हो गये

इक ज़माने बाद ओंठो पे मेरे मुस्कान थी 

मीत यूं  हमको रुलाकर आप क्यूँ गुम हो गये 

मौलिक व अप्रकाशित 

 

 

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Santlal Karun on September 27, 2014 at 8:35pm

आदरणीय आशुतोष मिश्र जी,

मार्मिक और हृदयतल तक उतरनेवाली ग़ज़ल  है  ये, हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ---

"आपकी ये खामुशी चुभती है नश्तर सी हमें

हमको यूं अपना बनाकर आप क्यूँ गुम हो गये"

Comment by vijay nikore on September 27, 2014 at 1:42pm

गज़ल अच्छी लगी। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2014 at 8:58am

बहुत खूब आदरणीय डॉ आशुतोष जी बेहतरीन ग़ज़ल बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 26, 2014 at 4:05am

आदरणीया राज जी ..आपकी इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से मैं बहुत उत्साहित हूँ .आप का प्रोत्साहन और मार्गदर्शन सतत मिलता रहे इसी कामना के साथ ..सादर प्रणाम के साथ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2014 at 8:22pm

पोखरों को पार करना भी  न सीखा है अभी

सामने सागर दिखाकर आप क्यूँ गुम हो गये----वाह्ह्ह्ह 

 

लहरों से डरकर खड़े थे हम किनारों पर यहाँ

हौसला दिल में जगाकर आप क्यूँ गुम हो गये-----बहुत सुन्दर 

आपकी ग़ज़ल बहुत पसंद आई सभी शेर काबिले तारीफ हैं दिली दाद कबूलिये आ० डॉ० आशुतोष जी 

 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:18pm

आदरणीय डॉ कँवर सर ...आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:18pm

आदरणीय विजय सर ..रचना आपको पसंद आयी इससे मुझे आत्मसंतोष मिला सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:17pm

आदरणीय गोपाल सर .आपकी प्रतिक्रिया से मुझे हमेशा ही नूतन उर्जा मिलती है .आपका मार्गदर्षन सतत मिलता रहे इसी कामना के साथ ..सादर प्रणाम करते हुए 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:14pm

आदरणीय नरेन्द्र जी .रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभार सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 7:13pm

आदरणीय हरिवल्लभ जी ..हौसला बढाती आपकी प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service