For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : बंद गली (गणेश जी बागी)

                  नंद वन अपने नाम के अनुसार ही आनंद पूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता था, सभी जानवर शांति और भाईचारा से जीवन व्यतीत करते थे किन्तु अब यहाँ सब कुछ बदल गया था, कालू भेड़िया और दुर्जन भैस राजा की छत्र - छाया में आनंद वन में अत्याचार कर रहे थे, यहाँ तक की दिनदहाड़े ही बहु बेटियों को अपने अड्डे पर उठा ले जाते थे और विरोध करने वालों को जान से मार देते थे ।
                 भोलू हिरन की पत्नी को भी कालू और दुर्जन ने अपने गुंडों के साथ आकर सबके सामने उठा ले गए, भोलुआ कुछ न कर सका । शिकायत लेकर भोलुआ संतरी से लेकर मंत्री तक गया किन्तु कई दिन बीतने के बाद भी कोई सुनवाई न हो सकी ।
                "आनंद टाइम्स" में आज की हेड लाइन थी, "कालू और दुर्जन की हत्या, भोलुआ नक्सलियों में शामिल" 

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : बदलाव

Views: 1125

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 21, 2014 at 10:50am

प्रतीकात्मक बिम्बों के माध्यम से आपने समाज के एक घ्रणात्मक चेहरे का अनावरण किया है ,बहुत प्रभावशाली लघु कथा बनी है ,हार्दिक बधाई आपको आ० गणेश जी  

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 21, 2014 at 10:24am
न्याय का आभाव , न्याय में देरी और अन्याय अन्याय को ही बढ़ावा देता है . इन सिद्धांतों को पुष्ट करती कथा के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय इंजीo गणेश जी बागी जी .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2014 at 9:58am

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया छाया शुक्ला जी।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2014 at 9:53am

आदरणीय संतलाल करुण जी, लघुकथा पर आपकी मुक्तकंठ से सराहना उत्साहवर्धन करती है जिसके लिए मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूँ, किन्तु मैं यह नहीं मानता कि ओ बी ओ पर अधिकतर लघुकथाएँ लघुकथा विधा पर खारिज हैं, हाँ कुछ जरूर हो सकती हैं किन्तु अधिकतर नहीं।
पुनः आपकी सहृदयता हेतु आभार।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2014 at 9:42am

उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 21, 2014 at 9:40am

सराहना हेतु आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी।

Comment by Neeraj Nishchal on September 21, 2014 at 12:58am
आदरणीय बागी जी इतनी बेहतरीन लघुकथा हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकार कीजिये ।
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 20, 2014 at 11:35pm

और क्या करता बेचारा भोलुआ ?  राजा मंत्री पुलिस शासन प्रशासन नेता सभी दुर्जन का साथ देते हैं, सज्जन न्याय के लिए भटकते रहता  है । या मर मर के जिये, या स्वयं बदला ले या किसी ऐसे गुट में शामिल होकर बदला ले जिससे पुलिस स्वयं डरती हो। भोलू ने तीसरा विकल्प चुना। इस देशमें  पुलिस के व्यवहार और अन्याय के कारण ही ज़्यादातर अपराधी और नक्सलवादी बने है। पहले डाकू बनते थे। 

आदरणीय गणेश भाईजी , भारत जैसे भ्रष्ट देश में आपकी यह कथा हमेशा प्रासंगिक रहेगी। 

हार्दिक बधाई । कथा का शीर्षक और भी मज़ेदार हो सकता था ... कथा के अनुरूप .... समरथ को नहीं दोष गोंसाई या ऐसा ही कुछ ।

आदरणीय .....  दुर्जन भैस ने राजा........ यहाँ  ने  की ज़रूरत नहीं ..... हटा दीजिए ।

सादर 

Comment by Chhaya Shukla on September 20, 2014 at 10:09pm

नक्सल वाद की समस्या को सलीके से रेखांकित करती सुंदर लघु कथा बधाई आपको आदरनीय सादर नमन ! 

Comment by Santlal Karun on September 20, 2014 at 10:09pm

आदरणीय बागी जी,ओबीओ पर अधिकतर लघुकथाएँ रचना न होकर समाचार-पत्र के एक-दो सूचनापरक अनुच्छेद-जैसी लगती हैं | पढ़ने के बाद कुछ ख़ास हाथ नहीं लगता | इसलिए लघु कथाओं को पढ़ने के लिए मन लहरता नहीं | किन्तु  'बंद गली' ने हमें अपनी रचनात्मकता के साथ आकृष्ट किया है | यह कथा हौले से की गई सपाट बयानी से पूरी तरह मुक्त, रुचिपूर्वक पठनीय तथा सन्देशपरक है | मानवीय पशुता को पशुओं के कथानक के माध्यम से  आप ने रूपक और प्रतीकात्मकता के साथ लघुकथा को अत्यंत प्रभावी ढंग से कहा है | ...हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service