For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज चिलमन में तेरा रहना है मंजूर नहीं

2122   1222  2122   22/112

दिल से ज्यादा हमें करता कोई मजबूर नहीं

रोज कहता कि घर है उनका बहुत दूर नहीं

 

मैकदे की चुनी खुद मैंने डगर है साकी

रिंद के दिल में तू रहती है कोई हूर नहीं

 

आज सागर पिला दे पूरा मुझे ऐ साकी

रिंद वो क्या नशे में जो है हुआ चूर नहीं

 

गर जो होती नहीं मजबूरी वो आती मिलने

प्यार मेरा कभी हो सकता है मगरूर नहीं

 

रुख पे बिखरी तेरी जुल्फों ने सितम ढाया  है

आज चिलमन में तेरा रहना है मंजूर नहीं

 

यार  माना कि पी सागर से  है मैंने छककर

बेटी अंगूर की पी यूं तू  मुझे घूर नहीं  

 

  

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 11, 2014 at 11:02am

आदरणीय श्याम जी ..प्रोत्साहित करने वाले आपके इन शब्दों के लिये तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 11, 2014 at 11:01am

आदरणीय शिज्जू जी ..आपके स्नेहिल शब्दों के लिए तहे दिल धन्यवाद ..आपकी दी हुई सीख पर अमल करने की कोशिस सदैव करता हूँ ..बस यूं ही स्नेह बनाए रखें .सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 11, 2014 at 10:58am
आदरणीया कुंती जी ..आपके सतत प्रोत्साहन से मेरी रचनाधर्मिता को नयी उर्जा मिलती है सादर धन्यवाद केसाथ
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 11, 2014 at 10:53am

आदरणीय शुशील जी ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 11, 2014 at 10:52am

आदरणीय अखिलेश भाईसाब ...आपके प्रोत्साहित करने वाली टिप्पणी के लिए तहे दिल धन्यवाद ...भाई साब कई जगह मैंने साकी का प्रयोग स्त्रीलिंग के रूप में भी होते देखा है ..ठीक से याद नहीं है ..बिद्व्त जनों की राय से सही जानकारी मिल सकेगी ..सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on May 10, 2014 at 10:37pm

waaaah waaah

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:48pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय। ………।  हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Shyam Narain Verma on May 10, 2014 at 10:05am
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 9, 2014 at 10:02pm

बहुत खूब आदरणीय डॉ आशुतोष सर बहुत बहुत बधाई

Comment by coontee mukerji on May 9, 2014 at 7:16pm

 

आज सागर पिला दे पूरा मुझे ऐ साकी

रिंद वो क्या नशे में जो है हुआ चूर नहीं......बहुत खूब.आशुतोष जी  आपको हार्दिक बधाई.

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदरणीय समर कबीर जी को जन्म दिवस की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब को ज़िन्दगी का एक और नया साल बहुत मुबारक हो, इस मौक़े पर अपनी एक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आ. भाई समर जी को जन्म दिन की असीम हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई।"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"ओ बी ओ पर तरही मुशायरा के संचालक एवं उस्ताद शायर आदरणीय समर कबीर साहब को जीवन के अड़सठ वें वर्ष में…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Friday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आ. भाई सुशील जी, सादर आभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Friday
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post दिल चुरा लिया
"   आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत ग़ज़ल प्रयास की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब।"
Wednesday
Sushil Sarna posted blog posts
Tuesday
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

दिल चुरा लिया

२२१ २१२१   १२२१  २१२  उसने  सफ़र में उम्र  के  गहना  ही  पा लियाजिसने तपा के जिस्म  को  सोना बना…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service