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1222/1222/1222/1222

अरे नादान ये मय है जिगर को ये जला ही दे

मेरे इस दर्दे दिल के वास्ते कोई दवा ही दे

 

कभी जब खींच ले जाये समंदर साथ अपने तो

गुज़रती मौज कश्ती को किनारे पर लगा ही दे

 

तेरी आँखों में मेरे दर्द की तासीर है शायद       (तासीर= असर)

उदासी भी तेरी इस बात की पैहम गवाही दे      (पैहम= लगातार)

 

इरादों को किया मजबूत तेरे पत्थरों ने ही

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे

 

बचूँगा कब तलक तेरी निगाहों से कहीं छुपकर

चलाना है तुझे जो तीर शब्दों के चला ही दे

 

यही दिन-रात उलझन है सताये डर मेरा मुझको

छुपाता हूँ ज़माने से खता सबको बता ही दे

(मौलिक व अप्रकाशित)

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2014 at 9:06pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर  संशोधन कर दिया है l  स्नेह यूँ ही बनाये रखें

सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 2:40am

मैं तो मतले पर रुक गया. कई शेर इस ग़ज़ल को कामयाब कर रहे हैं, शिज्जू भाईजी. 

तेरी आँखों में मेरे दर्द की तासीर है शायद वाले शेर को पुनः देख लें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 4, 2014 at 8:44am

आदरणीय विजय सर, आदरणीय बृजेश भैया, आदरणीय पवनजी, आदरणीय डॉ आशुतोष सर, एवं
आदरणीया डॉ प्राची जी रचना की सराहना के लिये आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 24, 2014 at 9:11pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है आ० शिज्जू जी 

बहुत बहुत बधाई 

इरादों को किया मजबूत तेरे पत्थरों ने ही

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे...............वाह !

तेरी आँखों में मेरे दर्द की तासीर है शायद         

बरसते अश्क़ भी इस बात की पैहम गवाही दे ............इसमें शायद वचन दोष बन रहा है. देख लें 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 21, 2014 at 2:28pm

आदरणीय शिज्जू जी ..बहुत ही सुंदर ग़ज़ल है ..V

इरादों को किया मजबूत तेरे पत्थरों ने ही

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे..इस शेर के लिए बिशेष रूप से बढ़ाई स्वीकार करें ..सादर 

Comment by pawan amba on February 21, 2014 at 5:47am

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे...........वाह! क्या बात है  एक अच्छी रचना सादगी भरे शब्दो से सजी 

Comment by बृजेश नीरज on February 20, 2014 at 7:11pm

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!

Comment by vijay nikore on February 20, 2014 at 11:27am

शिज्जु जी, इस अच्छी गज़ल के लिए आपको बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 20, 2014 at 9:22am

आदरणीया शशिजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 20, 2014 at 9:21am

भाई जितेन्द्रजी हौसलाअफ़्ज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया

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