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पढ़े लिखे कुछ लोग भी, दे हैरत में डाल।

बेटी भी औलाद है, फिर क्यूँ करे बवाल।।

 

इतनी छोटी बात भी, समझे ना इंसान।

बेटी जन्में पुत्र को, रखते कुछ तो मान।।

 

बेटी मेरा खून है, बेटी मेरी जान।

बेटी से ये सृष्टि है, बेटी से इंसान।।

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2014 at 9:03pm

आदरणीय सौरभ सर ये सब आपका ही मार्गदर्शन है जिसकी वजह से मैं कुछ कर पा रहा हूँ आपका बहुत बहुत शुक्रिया
सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 22, 2014 at 8:02pm

भाई शुज्जूजी, आपके दोहों में जिस गहनता से सार्थक विचारों की अभिव्यक्ति हुई हैं. आपके कथ्य बरबस ध्यान खींचते हैं. उन्नत विचारों से पगे इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.
आपके दोहों में धीरे-धीरे अपेक्षित निखार आ रहा है. यह आपकी संलग्नता का ही परिचायक है. शुभेच्छाएँ .. .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 4, 2014 at 8:02pm

आदरणीया डॉ प्राची जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2014 at 1:58pm

समाज में बेटियों को जन्म से पूर्व ही मार दिया जाना, बेटा न जन्मने पर महिलाओं को ताने देना, बीटा और बेटी में भेदभावपूर्ण व्यवहार होना ...ये कुछ ऐसी ह्रदय को चीर देती कटु सच्चाइयां हैं जो किसी भी संवेदनशील ह्रदय को झकझोर देती हैं, क्रंदित कर देती हैं... आखिर क्यों नहीं समझते ये लोग बिटिया का मोल ?

इसी संवेदना को संजोकर बिटिया की मान में बहुत सुन्दर दोहे प्रस्तुत किये हैं आ० शिज्जू भाई जी 

प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 4, 2014 at 8:40am

रचना की सराहना के लिये आप सभी का तहेदिल से आभार

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 2, 2014 at 1:14pm

आदरणीय शिज्जु  भाई,

सुंदर दोहे की हार्दिक बधाई । बेटी पर कम से कम  दो दोहे और लिखते तो और अच्छा लगता , तीन दोहे कुछ कम पड़ गये.
.........सादर 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 2:43pm

वाह वाह बहुत बधाई आपको शिज्जू जी 

Comment by annapurna bajpai on February 24, 2014 at 6:52pm

वाह ! बहुत खूबसूरत दोहे , बधाई आपको । 

Comment by नादिर ख़ान on February 23, 2014 at 10:38pm

बहुत उम्दा दोहे हैं, आदरणीय  शिज्जु भाई ..

आपकी सुंदर सोच को बयाँ करते शानदार दोहे ...

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 23, 2014 at 10:26am

सुन्दर और सार्थक दोहे रचे है, बधाई 

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