लो ....
ये क्या मौसम बदलते ही
तुमने रिश्तों का स्वेटर
खोल दिया ...
एक एक फंदे
जो तुमने चढ़ाये थे
इतने जतन से
अचानक ही
उन्हे उतार दिया ....
इतने जल्दी तुम
भी बदल गए
इस मौसम की तरह
चलो ....
ऐसा करना
मेरी यादों की सलाईयों को
सहेज कर रख लेना
फिर कभी ठंड आएगी
और उस सलाईयों
पर अहसासों के ऊन से
फिर रिश्तों का स्वेटर
बना लेना ...
किसी अपने के लिए
रिश्तों के लिए
नातों के लिए....
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
भावुक कॉड छू रही रचना हुई है.
वैसे एक बात स्पष्ट हुई, आपको स्वेटर के बिने जाने का ढब मालूम है. अच्छा लगा.
शुभ-शुभ
बहुत सुन्दर रचना है रिश्तो की गर्माहट में जब यह पल अवतरित होते है तो फंदे उधड़ते चले जाते है और उन फंडो को सहेजना भी हूनह का कार्य है , रचना में रचनाकार ने बखूबी अपनी बात कही है , और प्राची जी से सहमत हूँ उस की जगह उन सलाइयों होना चाहिए , एक बात मेरे जहन में भी अटक गयी कि। ……… रिश्तो को सहेजते सहेजते यह कहाँ से आ गया
बना लेना ...
किसी अपने के लिए
रिश्तों के लिए
नातों के लिए....
……। जैसे यहाँ से नया पड़ाव शुरू हो गया :) वैसे रचना बहुत सुन्दर लगी हार्दिक बधाई आपको
मेरी यादों की सलाईयों को
सहेज कर रख लेना
फिर कभी ठंड आएगी
और उस सलाईयों
पर अहसासों के ऊन से
फिर रिश्तों का स्वेटर
बना लेना ...
किसी अपने के लिए
रिश्तों के लिए
नातों के लिए...............बहुत सुंदर
बधाई स्वीकारें आदरणीय आमोद जी
बहुत ही खूबसूरत अभिवयक्ति हार्दिक बधाई आपको /सादर
रिश्तों की गर्माहट बदलते मौसम की तरह जब फंदा फंदा उधड़ती एहसास खोने लगे..तब एक संयत इकाई दूसरी को भविष्य के लिए यही कह सकती है..की यादों को संजो कर फिर नए सिरे से एहसासों के ताने बाने बुनना.... लेकिन किसी और रिश्ते के लिए ? ऐसा क्यों? यदि ऐसा तो उस इकाई की यादों की सिलाइयों पर क्यों ? हर रिश्ता अपने ताने बाने स्वयं ही बुनता है.. किसी दुसरे की यादों पर नए रिश्ते का ताना बाना-यहाँ थोड़ी सी तार्किकता की कमी महसूस हुई..
दूसरा ,
और उस सलाईयों .................उस तो एकवचन संज्ञा के लिए प्रयोग होगा , यहाँ 'उन' होना चाहिए क्योंकि सिलाई नहीं सिलाइयाँ है
पर अहसासों के ऊन से
तीसरी बात,
अंत थोड़ा और साधा जा सकता था शाब्दिकता के स्तर पर ..
कुल मिला कर एहसासों से गुज़रना अच्छा लगा..
हार्दिक बधाई इस रचना पर आ० आमोद कुमार श्रीवास्तव जी
मेरी यादों की सलाईयों को
सहेज कर रख लेना
फिर कभी ठंड आएगी
और उस सलाईयों
पर अहसासों के ऊन से
फिर रिश्तों का स्वेटर
बना लेना ... बहुत ही सुंदर
बधाई बधाई
आदरणीय , सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये बधाई ॥
ऐसा करना
मेरी यादों की सलाईयों को
सहेज कर रख लेना
फिर कभी ठंड आएगी
और उस सलाईयों
पर अहसासों के ऊन से
फिर रिश्तों का स्वेटर
बना लेना ...
किसी अपने के लिए
रिश्तों के लिए
नातों के लिए.... ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है....सधुवाद.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..सादर बधाई
वाह क्या कहने आदरणीय आमोद जी बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई आपको.
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