For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं

212  212  212  212

चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं

हसरतें तेरी ही इन निगाहों में हैं

 

कुर्बतें वो तबस्सुम तेरी शोखियाँ

बस यही साअतें मेरी यादों में हैं

 

अपने आँचल से तूने हवा दी जिन्हें

वो शरारे हरिक सिम्त राहों में हैं

 

जो सिवा अपने सोचें किसी और की

अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं

 

कुछ खबर ले कोई आके इनकी ज़रा

कितनी बेचैनियाँ ग़म के मारों में हैं

 

साअत= क्षण, पल, लम्हा

अज़्मत= महानता

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 2, 2014 at 12:41pm

आदरणीय शिज्जू भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , आपको तहे दिल से बधाइयाँ ॥

जो सिवा अपने सोचें किसी और की

अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं -------- ये शे र बहुत सुन्दर लगा भाई जी , आपको ढेरों बधाई ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 2, 2014 at 10:01am

जो सिवा अपने सोचें किसी और की

अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं

 

आदरणीय शिज्जू जी, बेहतरीन गजल पर दाद कुबूल कीजिये यह शेर खूब पसंद आया, कठिन शब्दों के अर्थ बताने से हम पाठकों को बहुत आसानी हो जाती है,शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 2, 2014 at 8:34am

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 2, 2014 at 8:34am

भाई बैद्यनाथ सारथी जी तारीफ के लिये आपका शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 2, 2014 at 8:33am

आदरणीय डॉ आशुतोष जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपके सुझाव का मैं सदैव ध्यान रखूँगा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 2, 2014 at 8:32am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2014 at 7:51am

आदरणीय शिज्जू भाई  इस बेहतरीन ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधायी.

Comment by Saarthi Baidyanath on February 1, 2014 at 11:26pm

बहुत ही बेहतरीन शुरुआत हुई है ग़ज़ल की 

चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं

हसरतें तेरी ही इन निगाहों में हैं........सुन्दर अशआर हैं सारे के सारे ! दिली मुबारकबाद !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 1, 2014 at 9:28pm

आदरणीय शिज्जू जी ..आपकी इस बेहतरीन ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधायी ..

जो सिवा अपने सोचें किसी और की

अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं  बैसे तो हर शेर मुझे बेहद भाया ..लेकिन ये शेर मुझे खास पसंद आया ..एक निवेदन आजकल आप उर्दू का उपयोग खूब कर रहे हैं इसलिए उर्दू की जानकारी और चुनिन्दा शाब्द मिलते है ..आप सभी का अर्थ लिख दिया कीजिये तो समझने और सीखना का मौका एक ही प्लातेफ़ोर्म पर मिल जाएगा ..पुन बधाई के साथ सादर 

Comment by annapurna bajpai on February 1, 2014 at 7:38pm

सुंदर गजल बधाई आपको आ0 शिजू जी । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
1 hour ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
3 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service