For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 2122 2121

ख़म नहीं ज़ुल्फ़ों के ये जिनको कि सुलझायेंगे आप 

उलझने हैं इश्क़ की फिर से उलझ जायेंगे आप

कौन कहता है मुहब्बत अक्स है तन्हाइयों का
हम न होंगे साथ जब साये से घबराएंगे आप

दे तो दोगे इस ज़माने के सवालो का जवाब
दिल नहीं सुनता किसी की कैसे समझायेंगे आप

जा रहे हो बे-रुखी से जान लो इतना ज़रूर
क़द्र जब होगी मुहब्बत कि बड़ा पछतायेंगे आप

जब कभी होगा यक़ीं बिस्मिल वफाओं का जनाब
देखना फिर खुद-ब-खुद ही लौटकर आयेंगे आप

ख़म=घुमाव
 

**((अय्यूब खान "बिस्मिल"))**

*मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 594

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ayub Khan "BismiL" on December 27, 2013 at 11:00pm

shukria Dr Ashutosh sahab apki zarranawazi ke liye .............. Is Gazal Me Radeef Aap Hai Aayenge Nahi , AuR Qafiya Hai AAYEN{GE} , JAYEN{GE} , PACHTAYEN{GE} ...............matlab Harf-e-ravi ke taur pe GE istemaal ho raha hai 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 2:36pm

बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई ..अपनी जानकारी के लिए जानना चाहता हों ..अपने इसमें आयेंगे को बतौर रदीफ़ चुना है तो अंतिम शेर में काफिया क्या है ..मैं आपकी ग़ज़ल में काफिये के बारे में जानना चाह रहा हूँ ..मुझे समझने में असुबिधा हो रही है ..आप थोडा स्पष्ट करेंगे तो मेरी भ्रान्ति का निवारण होगा ..सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 12:45pm

आदरणीय बिस्मिल साहिब बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Ayub Khan "BismiL" on December 8, 2013 at 7:55pm
Comment by Ayub Khan "BismiL" on December 8, 2013 at 7:52pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब Abhinav Arun sB. ,डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव sb. शिज्जु शकूर sahab 

Comment by Abhinav Arun on December 8, 2013 at 5:35am

क्या कहने वाह ..खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बिस्मिल जी को हार्दिक बधाई !!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 11:18pm

बिस्मिल जी

आपने तो भाई लाजवाब कर दिया i शुरू से ही छा  गए भाई i

मुबारक हो i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 7, 2013 at 11:01pm

आदरणीय अय्यूब भाई,  सुन्दर गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ !!!!

आदरणीय -  क़द्र जब होगी मुहब्बत कि बड़ा पछतायेंगे आप - इस मिसरे की तक्तीअ फिर से करके देख लें !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 7, 2013 at 8:12pm

भाई अय्यूब जी अच्छी ग़ज़ल है दाद कुबूल फरमायें

Comment by Ayub Khan "BismiL" on December 7, 2013 at 7:52pm

bahut shukria Meena Pathak Sahiba 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
8 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service