For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ayub Khan "BismiL"'s Blog (5)

ग़ज़ल (अय्यूब खान "बिस्मिल")

कर दिया आम मिरे इश्क़ का चर्चा देखो

देखो ज़ालिम कि मुहब्बत का तरीक़ा देखो

याद करना कि मिरे दर्द कि शिद्दत क्या थी

खुद को ज़र्रों में कभी तुम जो बिखरता देखो

खूं तमन्ना का मुसलसल यहाँ बहता है अब

मेरी आँखों में है इक दर्द का दरिया देखो

यूँ सुना है कि वो नादिम है जफ़ा पे अपनी

उसके चेहरे पे जफाओं का पसीना देखो

अपने हाथों से सजाके में करूँगा रुखसत

कर लिया है मेने पत्थर का कलेजा देखो

ये हिना सुर्ख ज़रा…

Continue

Added by Ayub Khan "BismiL" on October 23, 2014 at 3:00pm — 7 Comments

ग़ज़ल - (अय्यूब खान "बिस्मिल")

वज़न २२१२ २२१२ २२१२ १२

उसने दिया इनकार का पैग़ाम उम्र भर

हाँसिल नहीं कुछ बस हुआ बदनाम उम्र भर

ये मुद्दतों की प्यास है मिटती अबस तभी

अपनी नज़र से जब पिलाती जाम उम्र भर

आग़ाज़ मोहब्बत का था जब दर्द से भरा

लाज़िम मुझे सहना ही था अंजाम उम्र भर

बस एक तिरी ख्वाहिश में खोया वजूद तक

ये ज़िन्दगी भी रह गई बे-नाम उम्र भर

दिल की तिजारत दर्द से बिस्मिल किया किये

उल्फत में बस ये ही रहा एक ख़ाम…

Continue

Added by Ayub Khan "BismiL" on January 5, 2014 at 8:30pm — 11 Comments

ग़ज़ल

2122 2122 2122 2121

ख़म नहीं ज़ुल्फ़ों के ये जिनको कि सुलझायेंगे आप 

उलझने हैं इश्क़ की फिर से उलझ जायेंगे आप

कौन कहता है मुहब्बत अक्स है तन्हाइयों का

हम न होंगे साथ जब साये से घबराएंगे आप

दे तो दोगे इस ज़माने के सवालो का जवाब

दिल नहीं सुनता किसी की कैसे समझायेंगे आप

जा रहे हो बे-रुखी से जान लो इतना ज़रूर

क़द्र जब होगी मुहब्बत कि…

Continue

Added by Ayub Khan "BismiL" on December 7, 2013 at 2:30pm — 11 Comments

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ - हजज मुसम्मन सालिम

जहाँ से अब ज़रा चलने कि तैयारी करो बिस्मिल

वहम में जी लिए कितना कि बेदारी करो बिस्मिल

जमाने ने किसे रहने दिया है चैन से अब तक

पुरानी बात छोड़ो खुद को चिंगारी करो बिस्मिल

बुरा हो वक़्त कितना भी न घबराना कभी इस से

गया अब वक़्त गर्दिश का न दिल भारी करो बिस्मिल

ग़रीबों का दुखाना मत कभी भी दिल मेरे दोस्त

दुआ किसकी मिलेगी फिर जो ज़रदारी करो बिस्मिल

सवर जाये अगर इस से बुरा क्या है ज़रा सोंचो

कभी इस मुल्क की…

Continue

Added by Ayub Khan "BismiL" on November 16, 2013 at 8:00pm — 25 Comments

ग़ज़ल

बहर= "रमल मुसम्मन महजूफ" 

2122 2122 2122 212

गर दिलों का दर्द उतरे शायेरी बन जाये ये

भूल ना चाहें अगर आवारगी बन जाये ये

मत समझना तुम मुहब्बत खेलने की चीज़ है

दिल्लगी करते हुये दिलकी लगी बन जाये ये

हम समझते ही रहें खुद को शनासा दोस्तों

मार कर हमको हमारी ज़िन्दगी बन जाये ये

दर्द ही मिलते रहें ऐसा नहीं होता अगर

चाह जिसकी वो मिले तो हर ख़ुशी बन जाये ये

तुम न करना इस क़दर बिस्मिल मुहब्बत…

Continue

Added by Ayub Khan "BismiL" on August 10, 2013 at 9:00pm — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

"मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२*****पसरने न दो इस खड़ी बेबसी कोसहज मार देगी हँसी जिन्दगी को।।*नया दौर जिसमें नया ही…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर

1222-1222-1222-1222जो आई शब, जरा सी देर को ही क्या गया सूरज।अंधेरे भी मुनादी कर रहें घबरा गया…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service