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***पेशानी पे मुहब्बत की यारो ……….***

पेशानी पे मुहब्बत की यारो ……….

लगता है शायद 
उसके घर की कोई खिड़की 
खुली रह गयी 
आज बादे सबा 
अपने साथ 
एक नमी का 
अहसास लेकर आयी है 
इसमें शब् का मिलन और 
सहर की जुदाई है 
इक तड़प है 
इक तन्हाई है 
ऐ खुदा 
तूने मुहब्बत भी 
क्या शै बनाई है 
मिलते हैं तो 
जहां की खबर नहीं रहती 
और होते हैं ज़ुदा 
तो खुद की खबर नहीं रहती 
छुपाते हैं सबसे 
पर कुछ छुप नहीं पाता 
लाख कोशिशों के बावज़ूद 
आँख में एक कतरा 
रुक नहीं पाता 
हिज्र की रातों में 
सितारों से बतियाते हैं 
खामोश लम्हों से 
बारहा उनके अक्स चुराते हैं 
अक्स 
जिनमें उसके आरिज़ों पर 
हया की अरुणाई है 
अक्स 
जिसमें उसके लबों पर 
प्यास थरथराई है 
अक्स 
जिसमें वो बे-हिज़ाब आई है 
आज उसकी याद ने 
मेरे दिल के निहाँख़ाने में
ली एक अंगड़ाई है 
पेशानी पे मुहब्बत की यारो 
इक लफ्ज़ लिखा तन्हाई है 
ये न उसको रास आई है 
न मुझको रास आई है

सुशील सरना

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 571

Comment

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Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 12:37pm

aa.Jitender "Geet' jee rachna par aapkee aatmeey udgaaron ka haardik abhaar

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 12:37pm

aa.Nadir Khan saahib rachna par aapkee aatmeey prashansa ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 12:36pm

aa.Dr.Gopal Narain Shrivastav jee rachna par aapkee snheaasheeh ne rachna ko aik naee oonchaaee prdaan kee hai...aapka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 12:35pm

aa.Ram Shiromani Pathak jee rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 1, 2013 at 11:08am

प्यार पर जोरदार रचना ......बधाई हो आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 1, 2013 at 7:02am

आदरनीय सरना भाई , मोहब्बत की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति की है , आपको बधाई !!!!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 1, 2013 at 1:31am

तूने मुहब्बत भी 
क्या शै बनाई है 
मिलते हैं तो 
जहां की खबर नहीं रहती 
और होते हैं ज़ुदा 
तो खुद की खबर नहीं रहती

क्या कहने, अति सुंदर, बधाई स्वीकारें आदरणीय शुशील जी

Comment by नादिर ख़ान on November 30, 2013 at 11:36pm

ऐ खुदा 
तूने मुहब्बत भी 
क्या शै बनाई है 
मिलते हैं तो 
जहां की खबर नहीं रहती 
और होते हैं ज़ुदा 
तो खुद की खबर नहीं रहती ...

आदरणीय सुशील जी, क्या कहने, बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ....

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 30, 2013 at 10:59pm

आदरनीय  सरना जी

बहुत खूब i इस अतुकांत में भी क्या तुक है, क्या रवानी है

और मजा यह कि आप कही भटके नहीं

आप अपने कथ्य और विषय  से जुड़े रहे i

भाव संपदा  का भी जवाब नही i मेरी शत शत बधाइयाँ  i

Comment by ram shiromani pathak on November 30, 2013 at 9:17pm

बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने  आदरणीय     .. हार्दिक बधाई आपको ।।।।  सादर 

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