For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनो !!

वक्त मत लिया करो ... 

समय से तारीफ करा करो 

हाँ मगर सच्ची तारीफ़ें 

और समय से मुबारकें 

तुम्हारी दुआ कबूल हो 

उस खुदा को मंजूर हो 

जिसने मुझे भेजा यहाँ 

तुम जैसे दोस्तों के दिलों में

मिला एक आसियाँ

मैं कितना भी उड़ लूँ 

आज मगर सच कहता हूँ 

प्यार से अपने बांध लेते हो 

वरना मैं क्या होता हूँ 

मुस्कराहट में मेरी, तुम्हारी नज़र है 

कलम से कुछ नाराज़ अक्षर हैं 

वरना कहाँ मैं तुमसे दूर रह पाता हूँ 

एक डोर से बंधा चला आता हूँ 

खुदा तुम्हें भी सलामत रखें 

ओ... मेरे अंजान साथियों 

जो तुमसे मिला वो कर्ज है 

मुझे लाजवाब कर देने वालों

तुम्हें मेरा सलाम अर्ज है ....  

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 19, 2013 at 6:52pm

आ0 अन्नपुरना जी, आ0 शिजू जी, आ0 गोपाल नारायण जी, आ0 अनुराग जी, आ0 सारथी जी, आ0 अरुण जी बहुत बहुत आप सभी का आभार... धन्यवाद ... सराहना के लिए.... 

आ0 राम शिरोमणि पाठक जी आपका सुझाव सर आंखो पर ... बहुत बहुत आभार ... 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 1:25pm

आदरणीय आमोद जी अच्छा प्रयास है और बेहतर हो सकता था मेरे हिसाब से.

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 12:28am

आदरणीय भाई जी सुन्दर प्रस्तुति /// .. बहुत बहुत बधाई आपको

वक्त मत लिया करो ...
समय से तारीफ करा करो /// "करा" कि जगह "किया" कर दिया जाय तो कैसा रहेगा ??

Comment by Saarthi Baidyanath on November 16, 2013 at 8:37pm

आपको भी सलाम अर्ज़ है ...बढ़िया रचना !

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 16, 2013 at 4:33pm

दिल से बयां जो आपने हक्कीकत कर दी 

खुद खुदा हो गए क्या रचना कर दी 

बेहतरीन सलाम ! बहुत बहुत बधाई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 3:48pm

आदरणीय आमोद जी ..बेहद मनभावन है यह रचना ..बधाई के साथ 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 16, 2013 at 11:41am

वाह आमोद जी  अब यह बात तो

मेरे दिल में भी दर्ज है

मुझे लाजवाब  कर देने वालो -------  रचना पर मेरा सलाम कबूल करे


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 16, 2013 at 8:11am

वाह आदरणीय आमोदजी बहुत खूब सलाम पेश किया है दाद कुबूल फरमायें

Comment by annapurna bajpai on November 16, 2013 at 12:01am

आ0 आमोद जी इस रचना प्रयास पर आपको हार्दिक शुभकामनायें । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service