For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी रोटी, कभी कपड़े के लिए गिड़गिड़ाना किस को कहते हैं 

किसी अनाथ बच्चे से पूछो रोना किस को कहते हैं 

कभी उसकी जगह अपने को रखो फिर जान जाओगे 

कि दुनिया भर का दुःख दिल मे समेटना किस को कहते हैं 

उसकी आँखें, उसके चेहरे को एक दिन घूर के देखो 

मगर ये मत पूछना कि वीराना किसको कहते हैं ... 

तुम्हारा दिल कभी छोड़े अगर दौलत कि खुमारी को  

तो तुम्हें मालूम हो जाएगा कि गरीबी किसको कहते हैं .... 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 21, 2013 at 9:40pm

सही  अर्थ और भाव से भरी इस रचना पर आपको सादर बधाई 

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 21, 2013 at 8:11pm

आ0 गोपाल नारायण सर.... उत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद अपना आशीर्वचन ऐसे ही बनाए रखें... मैंने गौर करा आप जो कह रहे हैं वो बिलकुल सत्य है .... मे कोशिश करूंगा... धन्यवाद ... सादर 

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 21, 2013 at 8:09pm

आ0 अरुण शर्मा जी आपका धन्यवाद ... मे आगे कोशिश करूंगा की आपको मेरी टूटी फूटी रचना पसंद आए .... बहुत बहुत आभार ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 21, 2013 at 8:07pm

आ0 रमेश जी .... कम से कम मैं तो बहुत सीखता हूँ आप सभी की बातों को अवश्य ध्यान मे रखता हूँ... क्यूंकी लिखना मुझे अच्छा लगता है मगर कैसे लिखूँ ये नहीं जानता  क्या विधा हो ये नहीं जानता .... जैसा भी लिखता हूँ बस लिख देता हूँ.... आप सभी की बातों और सीख को ध्यान मे रखते  हुये  अगर कुछ लिख पाउ तो आप सभी का आशीर्वाद ही होगा... 

आपको बहुत बहुत धन्यवाद ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 21, 2013 at 8:02pm

आ0 अन्नपूर्णा जी, आ0 शिजू जी, आ0 जितेंद्र जी, आ0 विजय जी आप सभी का बहुत बहुत आभार उत्साह बढ़ाने के लिए... 

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 21, 2013 at 7:55pm

आदरणीय इस प्रस्तुति के लिये बधाई । इस मंच के सम्मानीय गुरूजनो के सुझाव के अनुरूप अनवरत प्रयास हमे करते रहना चाहिये ।

Comment by विजय मिश्र on November 21, 2013 at 6:23pm
बहुत जागृत रचना ,बधाई अमोदजी
Comment by अरुन 'अनन्त' on November 21, 2013 at 11:47am

आदरणीय प्रयास अच्छा है मेरे मन का पाठक संतुष्ट नहीं हो सका

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 21, 2013 at 9:54am

गरीबी में जीवन की वास्तविकता को स्पष्ट करती हुयी रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय आमोद जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 20, 2013 at 8:55pm

भूख दुख  दर्द और गरीबी का अच्छा चित्रण है  i आमोद जी थोडा लय  बेहतर होती तो मजा आ जाता i

फिर भी आपकी कोशिश अच्छी है  i हमें आपसे और अच्छे की उम्मीद है  i आप कर सकते है i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service