For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिलने पर नजरें चुराओगे था मालूम मुझे

यूं मुझे भूल न पाओगे था मालूम मुझे

दिल में लोबान जलाओगे था मालूम मुझे

अपने अश्कों से भिगो बैठोगे मेरा दामन 

एक दिन मुझको रुलाओगे था मालूम मुझे

 

मैंने सीने से लगा रक्खा है तेरा हर ख़त

ख़त मगर मेरा जलाओगे था मालूम मुझे 

 

यूं तो वादा भी किया, तुमने कसम भी खाई.

गैर का घर ही बसाओगे था मालूम मुझे

सारे इलज़ाम ले बैठा तो हूँ मैं अपने सर

मिलने पर नजरें चुराओगे था मालूम मुझे 

डॉ आशुतोष मिश्र 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on October 7, 2013 at 1:59am

क्या खूब गज़ल कही है आपने आ0 आशुतोष जी!!

Comment by रमेश कुमार चौहान on October 2, 2013 at 7:30pm

सारे इलज़ाम ले बैठा तो हूँ मैं अपने सर

मिलने पर नजरें चुराओगे था मालूम मुझे.............

प्यार की पराकष्ठा को व्यक्त करता बहुत ही सुंदर............. बधाई


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2013 at 5:10pm

लम्बी रदीफ़ के साथ अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई डॉ आशुतोष मिश्रा जी । 

Comment by बृजेश नीरज on October 2, 2013 at 7:01am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by vijay nikore on October 2, 2013 at 5:01am

इस उम्दा गज़ल के लिए बधाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 1, 2013 at 11:10pm

आदरणीय वाह बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल क्या कहने बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by D P Mathur on October 1, 2013 at 9:42pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी, प्यार भरा उलाहना लिए हुए हर दिल पसंद सुन्दर गजल के लिए आपको अनेकों बधाईयां ।

Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2013 at 8:38pm

वाह वाह क्या कहने आदरणीय आशुतोष सर,बहुत सुन्दर गज़ल//हार्दिक बधाई आपको  !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 8:02pm

आदरणीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाई !!

अपने अश्कों से भिगो बैठोगे मेरा दामन 

एक दिन मुझको रुलाओगे था मालूम मुझे ------------ वाह वा !!!!!

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 1, 2013 at 7:38pm

बहुत ही सुंदर गजल ! मुझे बहुत सान्तावना मिली पढ़कर ! हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service