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भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी

भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी

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सीधी सादी नेक बड़ी हूँ दिल की रानी

भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी

मै महलो हूँ गाँव बसी हूँ जंगल में भी

आदि काल से जन-जन में हूँ आदिवासी

कुछ सुधरो कुछ मुझे सुधारो चाह यही

मन में झांको हीरा-पन्ना सगुण भरी

मुझे  सजाओ रूप संवारो मै महरानी

भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी

===============================

बड़ा दर्द होता है सुन-सुन अंग्रेजी महरानी

घर की देवी छोड़ पूजते बनते गए विदेशी

कोमल संस्कार बच्चों के छीने घूँट पिलाये

आधी हिंदी इंग्लिश आधी खिचड़ी उन्हें खिलाये

सौतन कितना प्रेम करेगी क्या ये समझ न आये

मान दिया है घर में रखा तेरी खातिर मान गँवाए

अन्तः झांको धनी  बहुत हूँ सरस्वती वरदानी

भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी …………..

===============================

आकाशवाणी दूरदर्शन विद्यालय नैतिकता लाओ

रेडिओ स्टेशन टी वी सेंटर स्कूल टेबल ना मन लाओ

अधकचरा अधपके ज्ञान से ना साक्षात्कार कराओ

एम्प्लाई इम्प्लायर मन को हिंदी के रुख लाओ

पत्र पत्रिका ग्रन्थ या पुस्तक हिंदी सारी छपवाओ

मेरे रूप में झांको  लिख दो चिट्ठे बहुत बनाओ

लेख लिखो तुम कविता लिख दो तकनीकें लिख डालो

ज्ञान भरा है निज भाषा में विश्व गुरु बन छाओ

उन्हें भी दे दो धनी बनो तुम मै लक्ष्मी महरानी

भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी …………..

==================================

हर्षित मै हूँ कुछ ने समझा मुझे पूजते हिंदी रानी

आओ जुडो और कुछ भाई  बहन सभी हूँ देवनागरी

सुन्दर सुघड़ बड़े गुण वाली समृद्ध तुम्हे बनाऊँगी

जन-जन में पहचान दिला के तुझको ताज पिन्हाऊँगी

भारत -भाषा संस्कृति अपनी नेह प्रेम ले तुझमे बसती

मुझको लो पहचान अभी भी ना मानो मुझको तुम सस्ती

अधजल गगरी छलके जाए मै ‘प्रिय’ गागर-सागर

कर मंथन हे ! अमृत पा ले हिंदी संग बन "मानव"

दूध की नदिया सोने चिड़िया खान भरी मै रानी

भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी ....................

====================================

"मौलिक व अप्रकाशित"

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'

24.09.2013 6.19-7.03 पूर्वाह्न

प्रतापगढ़

वर्तमान -कुल्लू हिमाचल प्रदेश

भारत

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 2, 2013 at 11:05pm

आदरणीया महिमा जी अपनी हिंदी के लिए यों ही रचते रहिये सब सोचेंगे मान देंगे और ये कारवाँ यों ही शिखर तक जा पहुंचेगा
आप ने सराहा ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 2, 2013 at 11:03pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी अपनी हिंदी को आप सभी का यों ही प्रेम मिलता रहेगा तो वो दिन दूर नहीं जब एक अलग पहचान अपनी विश्व में हो ही जायेगी
आप ने सराहा ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 2, 2013 at 11:02pm

प्रिय रामशिरोमणि जी अपनी हिंदी को आप से युवा यों ही गले लगाएं तो आनंद और आये
आप ने सराहा ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 2, 2013 at 11:00pm

प्रिय जितेन्द्र जी अपनी हिंदी के मान में रची गयी ये रचना आप को अनुपम लगी और आप ने सराहा ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 2, 2013 at 10:58pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आप ही की तरह जन जन से अपनी प्यारी हिंदी को ऐसे ही समर्थन मिले तो आनंद और आये
आप का समर्थन मिला बहुत ख़ुशी हई
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 2, 2013 at 10:56pm

आदरणीय गिरिराज जी अपनी हिंदी के सम्मान में आप का समर्थन मिला बहुत ख़ुशी हई
आभार
भ्रमर ५

Comment by MAHIMA SHREE on September 28, 2013 at 11:41pm

वाह बहुत ही सुंदर .. काश ..सब ऐसा ही सोचे और करें ... बहुत -२ बधाई आदरणीय भ्रमर सर

Comment by annapurna bajpai on September 28, 2013 at 12:17am

सुंदर , रचना । आपको बहुत बधाई । 

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 4:58pm

आदरणीय बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति  //हार्दिक  बधाई आपको //सादर  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 27, 2013 at 1:12pm

हमारी हिंदी भाषा के सम्मान में, बेहद अनुपम रचना प्रस्तुत की आपने आदरणीय सुरेन्द्र जी, हार्दिक शुभकामनायें

कृपया ध्यान दे...

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