For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नेता स्वार्थ के अपने (कुंड़ली)

नेता स्वार्थ के अपने, बदल रहे संविधान ।

करने दो जो चाहते, डालो न व्यवधान ।।

डालो न व्यवधान, है अभी उनकी बारी ।

लक्ष्य पर रखो ध्यान, करो अपनी तैयारी ।।

बगुला बाट जोहे, बैठे नदी तट रेता ।

शिकारी बन बैठो, शिकार हो ऐसे नेता ।।

.............................................

मौलिक अप्रकाशित

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 27, 2013 at 12:19am

डालो न व्यवधान, है अभी उनकी बारी ।

लक्ष्य पर रखो ध्यान, करो अपनी तैयारी ।।

बगुला बाट जोहे, बैठे नदी तट रेता ।

शिकारी बन बैठो, शिकार हो ऐसे नेता ।।

प्रिय रमेश जी अच्छे भाव ..व्यंग्य का पुट लिए सुन्दर कुंडली ..अनन्त जी व् अन्य मित्रों के सुझाव पर गौर करियेगा

आभार
भ्रमर ५
हम तो ऐसे लिख डालते
डालो न व्यवधान, अभी है उनकी बारी ।
लक्ष्य पर रख के ध्यान, करो अपनी तैयारी ।।
बगुला जोहे बाट , बैठ सरिता तट रेता ।
बैठ शिकारी बन , शिकार हो ऐसे नेता ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 26, 2013 at 3:37pm

सामयिक मसले पर छंद का सुन्दर प्रयास | मित्रों के सुझाव आपने संज्ञान में लिए है | करत करत अब्यास के ---------

बधाई एवं शुभकामनाए  

Comment by राजेश 'मृदु' on September 26, 2013 at 3:01pm

सुंदर लिखा है आपने, चलते रहें, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2013 at 10:18pm

रमेश कुमार जी कुंडलिया पर प्रयास करते देख बहुत अच्छा लगा त्रुटियाँ नीचे मित्रों ने बता ही दी छंद समूह में भी विधान सीख सकते हैं हम सब भी यहाँ एक दूसरे से सीख कर ही आगे बढ़ रहे हैं शुभकामनायें 

Comment by रमेश कुमार चौहान on September 25, 2013 at 8:50pm

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तवजी, गिरिराजजी, आदरणीय रविकरजी, आ संदीप कुमारजी, आ अरून शर्माजी आप सभी का हार्दिक आभार ।

आ रविकरजी, आ अरून शर्माजी, आपलोगों के मार्गदर्शन के बल पर मैं कुछ सीख पा रहा हू । जैसे बच्चा "अ" लिखना सीख कर उत्सुकता से अपने माता पिता को दिखाने ललायित रहता है कुछ उसी प्रकार मेरी स्थिति हो गई है । आप इसी प्रकार मार्गदर्शन करते रहिगा मुझ मे आपको सुधार निश्चित रूप से दिखेगा ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 25, 2013 at 4:20pm

भाई जी नेताओं पर कुण्डलिया छंद के जरिये अच्छा व्यंग कसा है किन्तु आनंद आते आते रह गया. भाई जी श्रम के साथ साथ तनिक ध्यान भी देना शुरू करें प्रवाह और मात्रा गणना पर, भाई जी लिखते समय गुनगुना कर लिखें काफी सरलता होगी. इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें.

नेता स्वार्थ के अपने, बदल रहे संविधान । (दोहे के द्वतीय चरण में 12 मात्राएँ)

करने दो जो चाहते, डालो न व्यवधान ।।  ( दोहे के चतुर्थ चरण में 10 मात्राएँ)

डालो न व्यवधान, है अभी उनकी बारी । (

लक्ष्य पर रखो ध्यान, करो अपनी तैयारी ।।

बगुला बाट जोहे, बैठे नदी तट रेता ।

शिकारी बन बैठो, शिकार हो ऐसे नेता ।। ( रोला के अंतिम चरण में 14 मात्राएँ)

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 25, 2013 at 4:19pm

आदरणीय भाव बढ़िया लगे उसके लिए बधाई

बाकी आदरणीय रविकर सर का सुझाव जोरदार है

उन्हें भी बहुत बहुत बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2013 at 1:51pm

आदरणीय रमेश भाई , बहुत अच्छी बात लिखी , कुंडली छन्द मे ! बधाई !!

Comment by रविकर on September 25, 2013 at 11:30am

संविधान और कुटुम्ब के कारण कुछ दिक्कत आ रही है-
सुधारने की कोशिश कर लीजिये-सादर-

Comment by रविकर on September 25, 2013 at 11:29am

बढ़िया भाव-
शुभकामनायें आदरणीय-


दागी का रास्ता रुकना ही चाहिए-

कुछ ऐसे करके देख लीजिये एक बार-

नेता अपने स्वार्थ में, बदल रहे संविधान ।
करने दो जो चाहते, डालो मत व्यवधान ।
डालो मत व्यवधान, आज है उनकी बारी ।
रखो लक्ष्य पर ध्यान, करो वोटर तैयारी ।।
रास्ता जोह रमेश, ठोकना कुटुंब समेता ।
निश्चय होय शिकार, धूर्त अपराधी नेता ।।
.............................................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service