For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चरित्रहीन (लघु कथा)

आपका बेटा कहाँ है , हम उसे गिरफ्तार करने आये है .. अचानक पुलिस को देख कर माँ बाप घबरा गए,... मगर हमारे बेटे ने क्या किया है ????  ११ में पढ़ता है बहुत सीधा है .. जी आपके सीधे बेटे ने इक लड़की का रेप किया है .. कुछ ज्यदा ही सीधा है ... इतना कह कर पुलिस उसे अपने साथ ले गयी .. माँ बाप मानने को तैयार ही नहीं थे जरुर वो  लड़की ही बदचलन होगी ... उसने ही फँसाया होगा मेरे भोले भाले बेटे को .. चलो जी अभी बेटे को वापस ले के आयेगे .. पुलिस स्टेशन पर उस लड़की के माँ बाप रो रहे थे | तभी लड़की की माँ उन पर चिल्लाने लगी , अपनी बेटी को संभालते मेरे सीधे बेटे पे इलजाम लगा रही है .. वही चरित्रहीन होगी .. तभी लड़की की माँ रोते रोते हुए बोली -हाँ हाँ मेरी ४ साल की बेटी चरित्रहीन हीं थी जो अभी ठीक से बोलना भी नहीं जानती थी .. जिसे माँ बाप के सिवा ओर कोई रिश्ते मालूम नहीं थे .... जो अभी घर से निकली ही थी, ओर अब इस दुनिया से भी चली गयी .. सच में बहनजी आप का बेटा बहुत सीधा है... इतना कह कर वो बेहोश हो गयी .. लड़के के माँ बाप पसीने से तर शर्मिंदा से खड़े कुछ कहने लायक न रहे ........

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1006

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2013 at 5:06pm
भाव दिल को सम्बेद्नाओं से भर गए ..शिल्प के मामले में राज जी से इत्तेफाक रखता हूँ ..रचना अपने मकसद में कामयाब है ..सादर बधाई के साथ
Comment by विजय मिश्र on September 4, 2013 at 1:30pm
यह तो आये दिन की घटना है , आधुनिक रहन-सहन के प्रभाव का प्रकोप है और ऐसे बच्चे के माता-पिता का जीवन और चिंतन स्तर तो यही होनी ही चाहिए .इसप्रकार का चारित्रिक निर्माण कोई अचानक या अप्रत्याशित नहीं होता ,यह पारिवारिक परिवेश में ही उपजता है ,पलता है और समय आने पर फूलता-फलता है .ज्वलन्त विषय और समाजिक पीड़ा को लेखनी दियी आपने .साधुवाद रौशनीजी .
Comment by vijay nikore on September 4, 2013 at 1:18pm

सच्चाई से रंगी इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।

समाज में परिवर्तन लाना और उसे शीघ्र लाना

हम सभी का दायित्व है, ....मेरा, मेरे पड़ोसी का, हर किसी का।

सादर,

विजय निकोर

Comment by vandana on September 4, 2013 at 6:43am

सम सामयिक और विचारपूर्ण रचना आदरणीया रोशनी जी,

Comment by राज़ नवादवी on September 3, 2013 at 10:35pm

आदरणीया रोशनी जी, मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि आजकल की रेप की घटनाओं की वास्तविकता से कथानक का तालमेल बिठाना ज़रूरी है. आजकल के रेप में जो हिंसा और राक्षसत्व है वो लडकी और लड़के के अभिभावकों के बीच दर्शाए गए संवाद में व्यक्त नहीं होते; ये  किशोर वय में की गई अबोध भूल के लिए ज़्यादा समीचीन लगते हैं.  फिर भी, आपके प्रयास के लिए बधाई! 

Comment by Meena Pathak on September 3, 2013 at 10:25pm

आज की सच्चाई को बयान करती हुई बहुत मर्मस्पर्शी लघुकथा ...हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on September 3, 2013 at 9:54pm


आपकी रचना यह दर्शाती है कहीं न कहीं वो सब ज़िम्मेदार है जो अपने बच्चों की परवरिश को लेकर गंभीर नहीं रहते या ध्यान नहीं देते //बहुत सही कहा अपने हार्दिक बधाई आपको //सादर

Comment by mrs manjari pandey on September 3, 2013 at 8:52pm

       

            जिस पर भी पाशविक प्रवृत्ति हावी हो जा रही है वो ऐसी घटनाओं को अन्जाम दे रहा है. कोई वय, समय नही. इसीलिये आज

            समाज की हर गतिविधियोन मे नतिकता की आवश्यकता है ! सामयिक रचना के लिये साधुवाद !

Comment by AVINASH S BAGDE on September 3, 2013 at 8:18pm


आज की जलती चुभती सच्चाई को प्रस्तुत करती मर्मस्पर्शी लघुकथा .

sach me Dr.Prachi Singh mam.

Comment by AVINASH S BAGDE on September 3, 2013 at 8:17pm

waaaaaaaaaaaaaaa!

har ma-bap ko apani santan hamesha hi nirdosh nazar aati hai

satik

jhakjhor gai laghu katha Roshni Dhir mam...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service