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वादों  की बौछार के साथ 
नेता जी प्रगट हुए 
बिन बुलाये प्रेत की तरह 
मटरू को नौकरी 
गाँव में पक्की सड़क 
विद्यालय ,चिकित्सालय 
आदि आदि का निर्माण 
शब्दों के महाजाल  से
समस्याओं के सागर का 
पूरा का पूरा पानी 
झट से पी  गए
गटाक एक बार में    
लोग बड़े ध्यान से सुन रहे थे 
कुछ दिन पहले 
जो गूंगे बहरे लगते थे मुझे 
इनको क्या पता 
दाग लगे कपड़ों की तरह 
टांग दिए जायेंगे 
स्वार्थ की खूँटी पर 
पहले की तरह 
**************************
**************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक /अप्रकाशित

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Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 3, 2013 at 8:49am

आ0 राम शिरोमणि भाई जी, सादर प्रणाम! वाह! बहुत खूब!..
//जो गूंगे बहरे लगते थे मुझे
इनको क्या पता
दाग लगे कपड़ों की तरह
टांग दिए जायेंगे
स्वार्थ की खूँटी पर
पहले की तरह //........अतिसुन्दर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकार करें, सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 3, 2013 at 12:06am

नेताओं के झूठे खोखले वादों पर सीधा सीधा प्रहार, बहुत बढ़िया , बधाई हो राम भाई

Comment by राज़ नवादवी on September 2, 2013 at 10:15pm
"टांग दिए जायेंगे 
स्वार्थ की खूँटी पर 
पहले की तरह 

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

भाई दीपक जी, रचना एवं रचनाकार के नाम में कुछ स्पेस तो छोड़ें, वरना ऊपर की तरह अनर्थ हो सकता है! 

Comment by Ashish Srivastava on September 2, 2013 at 9:23pm
कुछ दिन पहले 
जो गूंगे बहरे लगते थे मुझे 
इनको क्या पता 
दाग लगे कपड़ों की तरह 
टांग दिए जायेंगे 
स्वार्थ की खूँटी पर 
पहले की तरह , बहुत सुन्दर बधाई इस रचना के लिए 

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